Hindi News (हिंदी समाचार), News in Hindi, Latest News In Hindi

झारखंड: जहां गरजती थी नक्सलियों की बंदूक, अब वहां खिल उठे हैं गेंदा के फूल, पढ़िए महिला किसानों के बेमिसाल जज्बे की कहानी

गुमला के इन नक्सल प्रभावित इलाकों में तरक्की की बयार।

झारखंड का एक मशहूर जिला है गुमला। बरसों पहले गुमला के चगांव, मुरुमसोकरा, केसीपारा, बरगांव, बरवाटोली, भरदा, पतिया, पसंगा, अड़िंगटोली व झरगांव आदि गांव में नक्सलियों कैंप लगाते थे। लोगों को नक्सल संगठन से जुड़ने के लिए उकसाया किया जाता था। कई ग्रामीण इनके बहकावे में आकर इनके साथ गए भी। लेकिन भोले-भाले गांव वालों की मासूमियत का फायदा उठाकर नक्सलियों ने इनकी जिंदगी में जहर घोल दिया।

गुमला के इन नक्सल प्रभावित इलाकों में तरक्की की बयार।

गांव के लोगों को एहसास होने लगा कि नक्सली सिर्फ उनका इस्तेमाल कर रहे हैं और बदले में उन्हें छल रहे हैं। इसके बाद इन गांवों के लोगों ने नक्सलियों का विरोध करते हुए उन्हें गांव से ही भगा दिया। नक्सलियों के विश्वासघात से दुखी लोगों के पास उस वक्त सबसे बड़ी समस्या थी रोजगार की। गांव के लोगों ने अपनी समस्या से हार नहीं मानी और प्रशासन की मदद इस इलाके के बंजर भूमि पर फूल उगाकर बेरोजगारी की समस्या को दूर कर दिया।

कभी नक्सलियों के लिए खाना परोसने वाली मुरूमसोकरा गांव की सुनीता देवी (काल्पनिक नाम) और पसंगाझर गांव की रजनी देवी (काल्पनिक नाम) का कहना है कि ‘गांव में नक्सलियों द्वारा लालच दिया गया। गांव मे काम नहीं होने के कारण पलायन करना हमारी मजबूरी बन गयी थी। जीविका का कोई संसाधन ना होना, बंजर भूमि, खेती के लिए पानी की अनुपलब्धता ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया था। लेकिन इसी बीच प्रशासन द्वारा हमारे गांव में कैंप लगाया गया तथा कृषि के प्रति रुझान बढ़ाने एवं नक्सलवाद के विषय पर गोष्ठी की गई और फिर रास्ता बना गांव के विकास का।

बता दें की गुमला की करीब 200 महिलाएं गरीबी को मात देकर अपनी जिंदगी को बदलने के लिए प्रयासरत हैं। महिला किसानों की मेहनत का फल है कि इस बार गुमला में गेंदा फूल की बम्पर पैदावर हुई है। इस बार गुमला प्रखंड के मुरुमसोकरा, केसीपारा, बरगांव, बरवाटोली, भरदा, पतिया, पसंगा, अड़िंगटोली व झरगांव में 6 लाख गेंदा फूल की पौध महिला किसानों द्वारा तैयार की गयी थी।

यहां करीब 200 किसानों ने गेंदा फूल की खेती की है। यहां के तकनीकी पदाधिकारी राहुल पाठक ने बताया कि पहले महिला समूहों को गेंदा फूल की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया गया था। यहां के कुल 10 गांवों में गेंदा फूल की बम्पर पैदावर हुई है। आज इन गांवों में हरियाली दिखाई दे रही है जिसका परिणाम है कि लोगों के जीवन में नई क्रांति आई है। आज हर एक ग्रामीण अपने बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए बाहर भेज रहे हैं तथा उनकी तमन्ना है कि हमारे बच्चे राज्य के प्रशासनिक अधिकारी बनें।