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बंदी का असर बच्चों की पढ़ाई पर, छात्रों के घरों में लगेंगी स्पेशल क्लासेज


जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में प्रमुख बाजारों के बंद रहने और सार्वजनिक वाहनों के सड़कों से नदारद रहने के कारण लगातार 65वें दिन भी जनजीवन प्रभावित रहा। घाटी में ऑटो-रिक्शा सहित कुछ निजी टैक्सियां और निजी वाहन शहर के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में सड़कों पर नजर आए। कई जगह कुछ रेड़ी पटरी वाले भी सड़क किनारे दिखे। दशहरे पर सार्वजनिक अवकाश होने के कारण बंद का असर ज्यादा दिखा, क्योंकि सरकारी कर्मचारी आज नौकरी पर नहीं गए। घाटी में लैंडलाइन सेवाएं बहाल कर दी गई हैं। कश्मीर के अधिकतर हिस्सों में मोबाइल सेवाएं और सभी इंटरनेट सेवाएं 5 अगस्त से ही निलंबित हैं।

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जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में परीक्षाओं से पहले मौजूदा एजुकेशन ईयर के पाठ्यक्रम को पूरा कराने के लिए शिक्षक स्कूलों की जगह घरों में स्पेशल क्लासेज आयोजित कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) को स्पेशल दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने और प्रांत को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केन्द्र शासित प्रदेश में विभाजित करने के केन्द्र सरकार के पांच अगस्त के कदम के बाद से ही कश्मीर में पाबंदियां लगी हैं। इन पाबंदियों के बीच बडगाम जिले के सेबदन इलाके में बच्चे कंधों पर बस्ता ले कर इन दिनों रोज ‘‘नए स्कूल’ की ओर निकल पड़ते हैं, ताकि परीक्षाओं से पहले अपने पाठ्यक्रम को पूरा कर सकें।

बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए घाटी के अध्यापक अब स्कूल के बजाय घर में स्पेशल क्लासेज आयोजित कर रहे हैं, ताकि मौजूदा एजुकेशन ईयर के पाठ्यक्रम को पूरा करने में छात्रों की मदद कर सकें। छात्रों द्वारा ‘‘नया स्कूल’ कहे जाने वाले इस घर में रोजाना सुबह आठ बजे से 11 बजे तक स्पेशल क्लासेज आयोजित की जाती हैं। घाटी में बच्चों के अभिभावक नहीं चाहते कि उनके बच्चों की पढ़ाई की राह में कोई रोड़ा आए। क्योंकि बेमिना इलाके के आसपास के कुछ इलाकों में सुरक्षा बलों पर पथराव करने के लिए इन्हीं बच्चों का इस्तेमाल किया गया था।