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नक्सल प्रभावित क्षेत्र के सोनू ने किया देश भर में नाम रौशन, इसरो प्रमुख K. Sivan के हाथों मिला सम्मान

बिहार का गया (Gaya) जिला दशकों से लाल आतंक की गिरफ्त में है। यह क्षेत्र आज भी नक्सली हिंसा का दंश झेल रहा है। पुलिस और नक्सली मुठभेड़ यहां के लिए आम बात है। ऐसे क्षेत्र से निकल कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान हासिल करना एक मिसाल है और यह मिसाल कायम किया है इसी इलाके के इमामगंज प्रखंड के एक छात्र ने।

नक्सल इलाके का सोनू इसरो प्रमुख K. Sivan के हाथों सम्मानित

गया (Gaya) जिले के इमामगंज का क्षेत्र बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित है, जहां नक्सलियों का आतंक आज भी कायम है। उसी इमामगंज प्रखंड के पकरी (गुरिया) गांव के रहने वाले एक प्राइवेट टीचर के बेटे सोनू गुप्ता ने बीटेक करने के बाद आइआइटी दिल्ली में आयोजित दीक्षांत समारोह में इसरो प्रमुख के. सिवन (K. Sivan) द्वारा सम्मानित होने का गौरव सोनू ने हासिल किया है। सोनू ने अपनी कड़ी मेहनत और हौसले की बदौलत दिल्ली में इसरो प्रमुख के. सिवन (K. Sivan) के द्वारा सम्मानित होकर अपने क्षेत्र का नाम रौशन किया है। अपने बेटे की सफलता पर सोनू के पिता गोपाल प्रसाद का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है।

वे कहते हैं, मैं एक प्राइवेट शिक्षक हूं और मेरी पत्नी सरिता देवी सरकारी शिक्षिका पद पर कार्यरत हैं। सोनू की प्रारंभिक शिक्षा गया (Gaya) जिले के बांकेबाजार के एक प्राइवेट स्कूल में हुई। स्कूल से आने के बाद मैं अपने बेटे को गाइड किया करता था। उसी दौरान सोनू जवाहर नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा में सफल हो गया। वहीं से उसने दसवीं पास की। दसवीं पास करने के बाद वह मगध सुपर-30 में भी क्वालिफाई हो गया। वहां से तैयारी करने के बाद उसका चयन आइआइटी दिल्ली में हो गया। जहां से उसने बीटेक किया। गोपाल प्रसाद के अनुसार, सोनू का सेलेक्शन ऑल इंडिया रिसर्च सेंटर में भी हो गया था। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसमें दाखिला नहीं हो पाया। अब बीटेक करने के बाद आइआइटी दिल्ली में आयोजित दीक्षांत समारोह में इसरो प्रमुख के. सिवन (K. Sivan) के हाथों सोनू को सम्मानित किया गया है।

उन्होंने बताया कि मेरी दो बेटियों में एक रूपा कुमारी सुपर 30 में और दूसरी स्वाती सुमन नवोदय विद्यालय शेरघाटी में पढ़ाई कर रही है। सोनू की इतनी बड़ी सफलता नक्सलवाद के मुंह पर एक जोरदार तमाचा है। नक्सली इन इलाकों में स्कूल-कॉलेज नहीं बनने देते, यहां के बच्चों को उनकी वजह से शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है। ये नक्सली बच्चों और युवाओं को बरगला कर हिंसा के रास्ते पर ले जाते हैं और उनका जीवन बरबाद कर देते हैं। पर सोनू जैसे कई युवा हैं जो अपनी लगन के दम पर नक्सलवाद जैसी बड़ी बाधाओं को भी पार कर रहे हैं, आगे बढ़ रहे हैं और देश दुनिया में अपना नाम रौशन कर रहे हैं।

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