केंद्र ने अपनी एडवायजरी में कहा है कि दो विशेषज्ञ समूहों ने कोविशील्ड (Covishield) के लिए समयांतराल को पहले 4 से 6 हफ्ते रखने को कहा था, लेकिन अब इस टाइम ट्रैवल को 4 से 8 हफ्ते कर दिया गया है।
केंद्र सरकार ने 22 मार्च को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) की दो खुराक के बीच समयांतराल को बढ़ाने को कहा। दरअसल, कोविशील्ड वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज के बीच में जितना अंतराल था, उसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता उतनी नहीं बन रही थी, जितनी कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जरूरी थी। यही वजह रही कि कोविशील्ड वैक्सीन की दूसरी डोज के अंतराल को बढ़ा दिया गया।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे गए अपने पत्र में केंद्र सरकार ने कहा है कि इम्युनाइजेशन पर गठित नेशनल टेक्निकल एडवायरजी ग्रुप और वैक्सीन के लिए गठित राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह ने देश भर में टीकाकरण के लिए जिस समयांतराल का पालन किया जा रहा है, उस पर पुनर्विचार किया है। केंद्र सरकार ने कहा है कि कुछ नए वैज्ञानिक सबूत उभर कर सामने आए हैं।
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केंद्र ने अपनी एडवायजरी में कहा है कि दो विशेषज्ञ समूहों ने कोविशील्ड (Covishield) के लिए समयांतराल को पहले 4 से 6 हफ्ते रखने को कहा था, लेकिन अब इस टाइम ट्रैवल को 4 से 8 हफ्ते कर दिया गया है।
केंद्र सरकार ने दोनों विशेषज्ञ समूहों की सिफारिश को मान लिया है और इस बारे में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए एडवायजरी जारी की है, जिसके तहत कोविशील्ड की पहली डोज के बाद 4 से 8 हफ्ते के भीतर लोगों को दूसरी डोज दी जाए।
वैक्सीन की डोज के अंतराल को बढ़ाने के लिए बनाई गई कमेटी के सदस्य और आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉक्टर समीरन पांडा के मुताबिक ऐसा करके वैक्सीन की क्षमता और उसके प्रभाव का और बेहतर परिणाम सामने आएगा।
सलाहकार समूह के सदस्य डॉक्टर समीरन पांडा ने कहा कि वर्तमान में कोरोना की कोविशील्ड वैक्सीन की दो डोज एक निर्धारित समय के अंतराल में दी जा रही हैं। लंबे समय अंतराल में वैक्सीन की दोनों खुराक का असर अलग-अलग देखा गया है। दोनों वैक्सीन डोज में 4-8 सप्ताह के अंतराल होने पर वैक्सीन की प्रभावकारिता अधिक देखी गई, जबकि चार-छह सप्ताह के अंतराल में दोनों डोज देने पर यह पचास फीसदी या इससे थोड़ी अधिक प्रभावी देखी गई।
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उन्होंने कहा कि कोवैक्सिन वैक्सीन में समय सीमा नहीं बढ़ाई गई है। उसकी वजह बताते हुए ने कहा कि इस वैक्सीन को भारतीय भौगोलिक दशाओं के अनुरूप तैयार किया गया है। वैक्सीन लगाने के बाद जो रोग प्रतिरोधक क्षमता तय अंतराल में होनी चाहिए, उतनी हो रही है।