पाकिस्तान की चार दिवसीय यात्रा पर पहुंचे संयुक्त राष्ट्र प्रमुख (UNSG) एंटोनियो गुतारेस (Antonio Guterres) ने जम्मू-कश्मीर को लेकर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है। गुतारेस 16 फरवरी को इस्लामाबाद पहुंचे।
पाकिस्तान की चार दिवसीय यात्रा पर पहुंचे संयुक्त राष्ट्र प्रमुख (UNSG) एंटोनियो गुतारेस (Antonio Guterres) ने जम्मू-कश्मीर को लेकर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है। गुतारेस 16 फरवरी को इस्लामाबाद पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से इस्लामाबाद में मुलाकात के बाद गुतारेस ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान जम्मू कश्मीर की स्थिति तथा नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव पर चिंता जताई थी और इस मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की। इसके साथ ही गुतरेस ने दोनों देशों को तनाव कम करने की सलाह भी दी।
गुतारेस ने की कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश
गुतारेस (Antonio Guterres) ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को आपस में सैन्य और जुबानी तनाव को कम करना चाहिए। साथ ही दोनों देशों को अत्यधिक संयम बनाए रखना काफी अहम है। गुतारेस ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर एवं सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के अनुरूप समाधान के साथ साथ शांति एवं स्थिरता के लिए कूटनीति एवं संवाद अब भी एकमात्र माध्यम है।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने शुरू से ही अपनी मदद की पेशकश की। अगर दोनों देश मध्यस्थता के लिए सहमत हैं तो मैं मदद करने के लिए तैयार हूं।’
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख को भारत ने दिया दो टूक जवाब
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख (UNSG) एंटोनियो गुतारेस (Antonio Guterres) की जम्मू कश्मीर पर की गयी टिप्पणी के बाद भारत ने 16 फरवरी को कहा कि यह क्षेत्र भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा तथा जिस मुद्दे पर ध्यान देने की सबसे अधिक जरूरत है, वह है पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से और जबरन कब्जा किए गए क्षेत्र का समाधान करना। जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव (UNSG) की टिप्पणी पर विदेश मंत्रालय ने दो टूक जवाब दिया। मंत्रालय ने कहा कि भारत अपने रुख पर कायम है। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। ऐसे में मध्यस्थता की कोई भूमिका नहीं है।
अमेरिकी सीनेटर ने भी की थी टिप्पणी
गुतरेस (Antonio Guterres) की टिप्पणी पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘भारत की स्थिति नहीं बदली है। जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बना हुआ है और जारी रहेगा। अगर कुछ हो तो आगे के मुद्दों पर द्विपक्षीय रूप से चर्चा की जाएगी। तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए कोई भूमिका या गुंजाइश नहीं है।’ बता दें कि इससे पहले म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने संवाद के दौरान कश्मीर का संदर्भ देते हुए कहा था कि लोकतंत्र का प्रदर्शन करने का सबसे बेहतर तरीका है कि कश्मीर मुद्दे का लोकतांत्रिक तरीके से समाधान किया जाए। जिसके जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत जैसा लोकतांत्रिक देश खुद ही यह मुद्दा सुलाझा लेगा।
पढ़ें: वायुसेना को मिलेगी मजबूती, तीन साल में शुरू हो जाएगी तेजस फाइटर प्लेन की डिलीवरी