पहले तो जर्मनी ने इस पर अडंगा लगाया और फिर बाद में अमेरिका ने भी ऐसा ही किया जिसके बाद बयान को जारी करने में देरी हुई।
पाकिस्तान के कराची में हुए आतंकवादी हमले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के बयान को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का निंदा वाला बयान देरी से आने के पीछे अमेरिका और जर्मनी का हाथ है। सूत्रों के मुताबिक अमेरिका और जर्मनी ने यूएनएससी को घटना के तुरंत बाद बयान देने से इसलिए रोका क्योंकि दोनों देश पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहते थे।
बताया जा रहा है कि कराची हमले के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराने और प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा 911 हमले के सरगना ओसामा बिन लादेन को ‘शहीद’ बताने के कारण पाकिस्तान को सख्त संदेश देना चाहते थे। कराची हमला 29 जून को हुआ था लेकिन यूएनएससी ने बयान एक जुलाई को जारी किया। यानी की हमले के करीब ढाई दिन बाद। बयान 15 सदस्यीय संरा सुरक्षा परिषद ने बुधवार को जारी किया जिसका मसौदा चीन ने तैयार किया था। यह प्रस्ताव मौन प्रक्रिया के तहत लाया गया था जिसमें यदि कोई सदस्य तय समयावधि के भीतर आपत्ति नहीं जताता है तो प्रस्ताव को स्वीकार्य मान लिया जाता है।
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हालांकि पहले तो जर्मनी ने इस पर अडंगा लगाया और फिर बाद में अमेरिका ने भी ऐसा ही किया जिसके बाद इसको जारी करने में देरी हुई। दोनों देशों ने साफ संदेश देने की कोशिश की है कि एक तरफ पाकिस्तान वैश्विक आतंकी को ‘शहीद’ की उपाधि देता है और दूसरी तरफ अपने देश में होने वाले आतंकी हमलों की निंदा करता है और दूसरे देशों से भी इसकी निंदा करवाना चाहता है। ऐसे में पाकिस्तान को इन दोनों में से किसी एक को चुनना होगा।
बता दें कि पाकिस्तान ने कराची हमले के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया है जबकि भारत ने इसकी कड़ी आलोचना की है। भारत ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को हमले का लिंक भारत के साथ जोड़ने पर कड़ा जवाब दिया है। बता दें कि, इस हमले में कुल 19 लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा हमले को अंजाम देने वाले बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के चार हमलावरों को भी मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया था।