नेपाल (Nepal) ने बृहस्पतिवार को दूरदर्शन को छोड़कर अन्य सभी भारतीय समाचार चैनलों का प्रसारण बंद करते हुए आरोप लगाया कि वो ऐसी खबरें दिखा रहे हैं जिससे देश की राष्ट्रीय भावनाएं आहत हो रही हैं। इस मुद्दे पर भारत की तरफ से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। घटनाक्रम के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि दिल्ली में नेपाली दूतावास ने भारत सरकार को भारतीय चैनलों द्वारा नेपाल (Nepal) के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर की जा रही कवरेज पर अपने नजरिये से अवगत करा दिया है।
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दरअसल नेपाल भारत-चीन के बीच जारी गतिरोध के दौरान भारतीय न्यूज चैनलों द्वारा चीनी राजदूत को लेकर दिखाए गए खबरों पर आपत्ति जताई थी और इसी के मद्देनजर नेपाली सरकार ने भारतीय न्यूज चैनलों के खिलाफ कानूनी रास्ता अख्तियार करते हुए नेपाल में भारतीय प्राइवेट न्यूज चैनल के प्रसारण पर बैन लगा दिया गया है। हालांकि भारत के सरकारी चैनल दूरदर्शन के डीडी न्यूज का प्रसारण जारी रहेगा। इस बीच नेपाली सरकार ने पाकिस्तानी और चीनी चैनलों के प्रसारण को बाधित नहीं किया है।
नेपाल (Nepal) की शासित कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के भीतर पैदा हुए मतभेद समाप्त होते नहीं दिख रहे हैं। बृहस्पतिवार को आयी मीडि़या की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड़’ के बीच सप्ताह भर में आधा दर्जन से अधिक बैठकें होने के बाद भी कोई आम सहमति नहीं बन सकी है।
बुधवार को एनसीपी की 45 सदस्यीय स्थायी समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक आज तक के लिए टाल दी गई। यह लगातार चौथा मौका था जब पार्टी की बैठक टाल दी गई थी ताकि पार्टी के दो अध्यक्षों को मतभेदों को दूर करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। उम्मीद की जा रही है 68 वर्षीय ओली के राजनीतिक भविष्य के बारे में आज स्थायी समिति की बैठक के दौरान फैसला किया जा सकता है।
इस बीच नेपाल (Nepal) में चीनी राजदूत होउ यान्की की सक्रियता बढ़ गई है ताकि ओली की कुर्सी को बचाया जा सके। प्रचंड़ खेमे को वरिष्ठ नेताओं और पूर्व प्रधानमंत्रियों माधव कुमार नेपाल (Nepal) और झालानाथ खनल का समर्थन हासिल है। यह खेमा ओली के इस्तीफे की मांग कर रहा है।