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बच्चों से सामान ढोने और खाना बनाने का काम ले रहे नक्सली, मिलिट्री ट्रेनिंग देकर बना रहे खूंखार

बच्चों को हथियार बना रहे हैं नक्सली। सांकेतिक तस्वीर।

पिछले पांच सालों में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। सरकारी आंकड़े पहले ही बता चुके हैं कि इन पांच सालों में नक्सली (Naxali) घटनाओं में कमी आई है और कई बड़े नक्सली (Naxali) या तो पुलिस मुठभेड़ में मारे गए या फिर उन्होंने डर की वजह से सरेंडर कर दिया है। इस खूंखार संगठन को लेकर अब एक और बड़ा खुलासा हुआ है।

जी हां, पता चला है कि संगठन के बचे हुए नक्सली अब आंतक की नई पौध तैयार करने में जुटे हैं। स्टेट फॉर होम अफेयर्स मंत्री, जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में बताया है कि नक्सली अब बच्चों को संगठन में शामिल कर रहे हैं और उन्हें मिलिट्री ट्रेनिंग दे रहे हैं।

इनपुट के आधार पर सरकार का कहना है कि सीपीआई (माओवादी) झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में बच्चों का इस्तेमाल खाना बनाने, रोजमर्रा के सामानों को ढोने और सुरक्षा बलों के खिलाफ सूचनाएं एकत्र करने में कर रहे हैं। गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने जानकारी देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने जनवरी 2015 में नक्सलियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति और एक्शन प्लान बनाया था जो काफी कारगर साबित हुआ है। गृह राज्य मंत्री के मुताबिक गृह मंत्रालय राज्य सरकारों को नक्सल प्रभावित इलाकों में सीआरपीएफ बटालियन को तैनात करने, हेलीकॉप्टर की सुविधा देने और अन्य पुलिस बलों को तैनात करने जैसे जरूरी कार्यों में पूरा सहयोग कर रही है।

सरकार के मुताबिक, नक्सलियों के खिलाफ चलाई जा रही नीति को कारगर तरीके से लागू करने की वजह से ही नक्सली (Naxali) हिंसा में कमी आई है। इससे नक्सलियों की जमीन हिल गई है। गृह मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2009 में नक्सली (Naxali) हिंसा की 2,258 वारदातें हुईं जबकि साल 2018 में सिर्फ 833 वारदातें ही हुईं। इतना ही नहीं साल 2010 में नक्सली हिंसा में मरने वाले लोगों की संख्या 1,005 थी जो साल 2018 में घटकर 240 ही रह गई।

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