लोकसभा चुनाव के ठीक पहले छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने आतंक का कहर फिर से बरपाया है। बस्तर से भाजपा के विधायक भीमा मंडावी के काफिले पर नक्सलियों ने बड़ा हमला किया है। विधायक चुनाव प्रचार से वापस लौट रहे थे। 9 अप्रैल को चुनाव प्रचार का आखिरी दिन था। घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने लैंडमाइन ब्लास्ट किया। धमाका इतना जोरदार था कि विधायक की बुलेट-प्रूफ गाड़ी के परखच्चे उड़ गए। हमले में लगभग 50 किलेग्राम से भी अधिक आईईडी का इस्तेमाल किया गया था।
इस हमले में विधायक, उनके ड्राइवर और तीन जवानों की मौत हो गई। विधायक के काफिले के पीछे तीन और वाहन चल रहे थे, जिनमें जवान सवार थे। घटना के तुरंत बाद वहां फायरिंग भी हुई। वाहनों में सवार जवानों ने नक्सलियों पर फायरिंग की। नक्सलियों ने भी दूसरी ओर से गोलियां बरसाईं और फिर वे वहां से भाग खड़े हुए।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जैसे ही इस घटना की जानकारी मिली, वे दोंदेकला से अपनी एक चुनावी सभा को बीच में ही छोड़कर वापस आ गए। मुख्यमंत्री ने सीएम हाउस पर डीजीपी डीएम अवस्थी, डीजी नक्सल और अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक बुला ली है। हेलीपेड पर उतरने के बाद सीएम तुरंत बैठक के लिए रवाना हो गए थे।
भाजपा विधायक भीमा मंडावी के काफिले पर हमले में नक्सलियों के दरभा डिवीजन कमेटी का हाथ होने की बात सामने आ रही है। यह वही नक्सली डिवीजन है जिसने छह साल पहले 25 मई, 2013 को झीरम घाटी में कांग्रेसी काफिले पर हमला कर लगभग 30 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इसमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, तत्कालीन पीसीसी चीफ नंदकुमार पटेल, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार समेत करीब 30 कांग्रेसी नेताओं की मौत हो गई थी।
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छत्तीसगढ़ में एक हफ्ते के भीतर यह तीसरा नक्सली हमला है। नक्सली लगातार बड़ा नुकसान पहुंचाने की कोशिश में थे। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले भी नक्सलियों ने पखांजुर के माहला इलाके में बीएसएफ के चार जवानों की हत्या कर दी। इसके 24 घंटे के भीतर ही धमतरी जिले में सीआरपीएफ के गश्ती दल पर एक और हमला हुआ जिसमें एक जवान की मौत हो गई।
इन सभी हमलों में एक बात गौर करने वाली है कि ये सभी हमले आईईडी ब्लास्ट से हुए हैं। जैसे-जैसे लोकसभा चुनावों की तारीख नजदीक आ रही है नक्सली नए-नए पैंतरे अपना रहा हैं। यह भी जानकारी है कि आज-कल नक्सलियों ने अपने युनिफॉर्म भी बदल दिए हैं। वे अब सुरक्षाबलों की तरह युनिफॉर्म पहन रहे हैं, ताकि पहचान में न आएं। सुरक्षाबलों को लगे कि वे भी उन्हीं की टीम के हैं।