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UNSC Ban Masood Azhar: मसूद अजहर का हुक्का पानी बंद, जानिए क्या होता है ग्लोबल आतंकी…

अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने के बाद मसूद अजहर (Masood Azhar) पर चौतरफा शिकंजा कसेगा।

UNSC Ban Masood Azhar: कुख्यात आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर दिया गया है। मसूद अजहर का नाम अब ब्लैक लिस्ट है। मसूद को ब्लैक लिस्ट कराने के लिए भारत लंबे वक्त से कोशिश कर रहा था लेकिन हर बार चीन अड़ंगा लगा देता था। अब अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने के बाद मसूद अजहर पर चौतरफा शिकंजा कसेगा। आपको बताते हैं कि दरअसल ग्लोबल आतंकी घोषित होने का मतलब क्या होता है, इसका नुकसान क्या होता है, किस तरह की बंदिशें होती हैं।

ये होते हैं ग्लोबल आतंकी
एक मुकम्मल प्रक्रिया के तहत किसी अपराधी को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाता है। मसूद अजहर को भी इसी प्रक्रिया के तहत ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया गया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य अमेरिका,फ्रांस, ब्रिटेन, चीन और रूस और 10 अस्थाई सदस्य वोटिंग करते हैं। वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए सभी स्थाई सदस्यों की सहमति जरूरी होती है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति प्रस्ताव 1267, जिसे आइएसआइएल और अलकायदा अनुमोदन सूची भी कहा जाता है। इसी सूची में उस शख्स का नाम शामिल करना होता है।

मसूद अजहर के पांव में बेड़ियां
ग्लोबल आतंकी घोषित होने के बाद किसी दूसरे देश की यात्रा पर बैन लग जाता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि दूसरे देश ऐसे शख्स को अपनी सीमा में घुसने की अनुमति नहीं देते हैं। लिहाजा, मसूद अजहर अब किसी भी देश आ-जा नहीं सकता है।

आतंक की कमाई जब्त

ग्लोबल आतंकी घोषित होने के बाद अपराधी की संपत्ति भी जब्त की जाती है। उस शख्स की जिस भी देश में संपत्ति होगी उसे तुरंत प्रभाव से जब्त कर लिया जाता है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाता है ग्लोबल आतंकी घोषित होने वाले शख्स को किसी भी तरह की आर्थिक सहायता नहीं मिल सके। मतलब यह कि मसूद अजहर अब अपनी आतंक की काली कमाई का एक भी सिक्का खर्च नहीं कर सकता है।

हथियारों की खरीद-फरोख्त पर बंदिश

ग्लोबल आतंकी घोषित होने के बाद कोई भी देश ऐसे शख्स को हथियार मुहैया नहीं कराता है। साथ ही अगर किसी ने ऐसे शख्स के साथ पहले हथियार की आपूर्ति या खरीद-फरोख्त को लेकर कोई बात की है तो वह इसे तुरंत रोक देता है। ये बंदिश आतंक के आका मसूद अजहर पर भी लागू होगी।

बता दें कि सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों में से कोई देश इसका प्रस्ताव लाता है। बाकी सदस्य देश इस पर अपना मत रखते हैं। स्थाई सदस्यों के पास वीटो पावर होता है। मतलब ऐसे प्रस्ताव पर पांचों स्थाई सदस्यों का सहमत होना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रस्ताव पास नहीं होता। प्रस्ताव आने के बाद 10 कार्य दिवसों तक इस पर आपत्तियां मांगी जाती हैं। अगर कोई स्थाई सदस्य आपत्ति दर्ज नहीं करवाता तो प्रस्ताव पास हो जाता है।

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