UNSC Ban Masood Azhar: मसूद पर चीन ने चार बार की चालबाजी, जानिए जैश से चाहत का राज़…

UNSC Ban Masood Azhar: चीन इस बात से भी बखूबी वाकिफ है कि पाकिस्‍तान की कोई भी सरकार यही बनाते हैं और वह इन्‍हीं के इशारे पर काम करती है। पाकिस्‍तान की सरकार सेना के खिलाफ नहीं जा सकती है। ऐसे में चीन किसी भी हाल में इतनी बड़ी रकम पर किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था।

Masood Azhar

UNSC Ban Masood Azhar: कुख्यात आतंकी मसूद अजहर (Masood Azhar) अब नहीं बच सकता। दुनिया भर में इस आतंकी को अब बैन कर दिया गया है। कई प्रयासों के बाद यह मुमकिन हो सका कि मसूद अजहर (Masood Azhar) इस तरह ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया जा सका है। मसूद अजहर (Masood Azhar) को आतंकी घोषित करने की कोशिशें तो कई बार की जा रही थीं, लेकिन हर बार इस काम में चीन अड़ंगा लगाता था। अगर उसी वक्त चीन ने भारत का साथ दे दिया होता तो शायद पुलवामा जैसे बड़े हमले ना होते। हम आपको बताते हैं कि चीन किस तरह मसूद अजहर (Masood Azhar) का ढाल बना रहा।

देश में इस साल हुए पुलवामा हमले के बाद यह चौथा मौका था जब चीन ने संयुक्त राष्ट्र में अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कर मसूद अजहर (Masood Azhar) को बचाया था। उससे पहले साल 2007, 2016 और 2017 में चीन ने उसे वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचाया था। तो सवाल यह उठता है कि आखिर चीन बार-बार मसूद अजहर को क्यों बचाता रहा। अखिर उसे मसूद से कैसी हमदर्दी थी जो सभी देशों के खिलाफ होने के बावजूद वह अकेले उसके साथ खड़ा रहता था। दरअसल, चीन के इस रवैये के पीछे कई कारण रहे।

पहला कारण है कि चीन ने पाकिस्‍तान में बनने वाले आर्थिक गलियारे पर करीब 60 बिलियन डॉलर खर्च कर रखा है। चीन और पाकिस्‍तान के बीच बनने वाला यह आर्थिक गलियारा चीन के उस महत्‍वाकांक्षी प्रोजेक्‍ट का हिस्‍सा है जिससे वह जरिए वह पश्चिम एशिया के बाजार तक अपनी पहुंच बनाना है। इस प्रोजेक्‍ट के पूरा होने की गारंटी के तौर पर पाकिस्‍तान की टेरर कंपनियां जिसमें जैश ए मुहम्‍मद भी शामिल है टोकन मनी के तौर पर काम कर रही हैं। दरअसल, चीन पाकिस्‍तान में आतंकियों, आईएसआई और सेना की गठजोड़ को अच्छी तरह जानता है।

चीन इस बात से भी बखूबी वाकिफ है कि पाकिस्‍तान की कोई भी सरकार यही बनाते हैं और वह इन्‍हीं के इशारे पर काम करती है। पाकिस्‍तान की सरकार सेना के खिलाफ नहीं जा सकती है। ऐसे में चीन किसी भी हाल में इतनी बड़ी रकम पर किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था। इन आतंकियों के खिलाफ जाकर  चीन इस महत्‍वाकांक्षी प्रोजेक्‍ट को खतरे में नहीं डाल सकता। इसलिए वह मसूद और उस जैसे आतंकियों के खिलाफ संयुक्‍त राष्‍ट्र में कोई प्रस्‍ताव पास नहीं होने देता था। इसके अलावा चीन पाकिस्‍तान को अरबों डॉलर कर्ज भी दे रहा है। चीन के लिए पाकिस्‍तान भी एक अच्छा बाजार रहा है।

एक कारण यह भी है कि चीन और पाकिस्‍तान के बीच बन रहे इस आर्थिक गलियारे की वजह से करीब 20 से 30 हजार चीनी नागरिक विभिन्‍न तरीके पाकिस्तान से जुड़े है और वहीं रह रहे हैं। इनमें चीन के जवान भी शामिल हैं। लेकिन पाकिस्‍तान की जमीन पर जो ताकत वहां के आतंकियों को मिली है वह ताकत वहां चीनी सैनिकों के पास नहीं है। पाकिस्‍तान में मौजूद आतंक के आकाओं को प्रतिबंधित करवा कर चीन अपने 30 हजार नागरिकों को मौत के मुंह में नहीं ढकेलना चाहता।

चीन को पाकिस्‍तान और वहां के आतंकी संगठनों के बारे में पूरी जानकारी है। चीन अपने देश के उइगर मुस्लिमों को अपने लिए खतरा बताता आया है। वह बार-बार इन्‍हें आतंकी कहता है। तो चीन को इस बात का भी डर रहा है कि अगर वह मसूद या उस जैसे किसी भी आतंकी पर प्रतिबंध लगाता है तो कहीं ये आतंकी उइगरों के साथ मिलकर वहां भी पुलवामा जैसे हमले न करवा दें।

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