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नेपाली संसद भंग के अपने फैसले का ओली ने किया बचाव, पीएम ने अपनी सफाई में लिया भारत विरोध का सहारा

KP Sharma Oli and PM Modi

नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) के संसद भंग कराने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गयी हैं। ओली के विरोधियों ने संसद भंग कराने के फैसले को  असंवैधानिक करार दिया है। हालांकि, नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया और अपने फैसले का बचाव करते नजर आये।

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केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने सत्तारूढ़ पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में फूट का हवाला देते हुए कहा कि उनके पास फिर से चुनाव कराने और बहुमत हासिल करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था। पार्टी के भीतर विवाद इतना बढ़ चुका था कि उनकी सरकार ठीक तरह से काम नहीं कर पा रही थी। ओली ने अपने भाषण में अपने बचाव के लिए एक बार फिर से भारत विरोधी राग का सहारा लिया।

ओली (KP Sharma Oli) ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में नेपाल का नया नक्शा पारित हुआ। ओली के मुताबिक, उनकी सरकार ने लोगों के हित में कई काम किए और राष्ट्रवाद के लिए मजबूती से खड़ी हुई, भारत के साथ बॉर्डर टॉक शुरू की और चीन के साथ व्यापार और यातायात समझौते को अमल कराने के लिए तेजी से काम किया।

ओली (KP Sharma Oli) के मुताबिक, नेपाल (Nepal) का नया नक्शा पास करने के लिए उनको साल 2016 की तरह ही सत्ता से बाहर निकालने की कोशिशें हुई। साल 2015 में भारत-नेपाल सीमा पर अघोषित आर्थिक नाकेबंदी के एक साल बाद ओली की सरकार गिर गयी थी। ओली ने कहा कि किरदार वही हैं, हालात भी वही हैं, बस संदर्भ बदल गया है। ओली ने आगे कहा, क्या इससे ये साबित नहीं होता है कि हमारे ही कुछ नेता देश को धीरे-धीरे अस्थिरता की तरफ ढकेलने की कोशिश कर रहे हैं।

नेपाल के पीएम ओली (KP Sharma Oli) अक्सर आरोप लगाते रहे हैं कि नेपाल का नया नक्शा पास करने की वजह से काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास और दिल्ली से उन्हें प्रधानमंत्री पद से  हटाने की साजिश रची जा रही है। नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर ही सत्ता को लेकर घमासान मचा हुआ है।