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एंटी नक्सल अभियानों में JAP जवानों की भूमिका महत्वपूर्ण: डीजीपी

झारखंड की राजधानी रांची के डोरंडा स्थित झारखंड आर्म्ड पुलिस (JAP) का 5 जनवरी को 140 वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया। इस मौके पर झारखंड के डीजीपी केएन चौबे मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने कहा, ‘जैप (JAP) का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है। यहां के वीर जवानों ने हमेशा अपनी शहादत देखकर जैप वन का नाम बुलंद किया है।

राज्य के एंटी नक्सल अभियान में जैप (JAP) जवानों की ज्यादा मांग रहती है। इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। झारखंड में पिछले 140 सालों से ये जवान सुरक्षा का जिम्मा संभाले हुए हैं। झारखंड के सभी बड़े वीवीआईपी की सुरक्षा का जिम्मा भी जैप (JAP) के जवानों पर ही है। अनुशासन और जुनून देखना हो तो इस वाहिनी को देखने की जरूरत है। मैं इस स्थापना दिवस पर जैप परिवार की खुशियों में शामिल होने आया हूं।’ इससे पहले डीजीपी सहित अन्य अतिथियों ने परेड का निरीक्षण करते हुए सलामी ली। जैप (JAP) ग्राउंड पर जवानों और बैंड पार्टी ने आकर्षक परेड पेश किया।

इसके बाद रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों और मौजूदा पदस्थापित पदाधिकारियों के बीच रस्साकसी का भी आयोजन किया गया। स्थापना दिवस समारोह के मुख्य कार्यक्रम के बाद डीजीपी कमल नयन चौबे, डीजी मुख्यालय और अतिथियों ने जैप (JAP) ग्राउंड में ही लगे चार दिवसीय ‘आनंद मेले’ का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया। बता दें कि यह मेला आठ जनवरी तक चलेगा। गौरतलब है कि जनवरी, 1880 में अंग्रेजों के शासनकाल में इस वाहिनी की स्थापना ‘न्यू रिजर्व फोर्स’ के नाम से हुई थी। साल 1892 में इस वाहिनी को ‘बंगाल मिलिट्री’ पुलिस का नाम दिया गया।

इस वाहिनी की टुकड़ियों की प्रतिनियुक्ति तत्कालीन बंगाल प्रांत, बिहार, बंगाल एवं ओड़िशा को मिलाकर की जाती रही। साल 1905 में इस वाहिनी का नाम बदलकर ‘गोरखा मिलिट्री’ रखा गया। राज्य के अन्य स्थानों पर प्रतिनियुक्त गोरखा सिपाहियों को भी इस वाहिनी में सामंजित किया गया। देश में स्वतंत्रता के बाद साल 1948 में इस वाहिनी का नाम बदलकर ‘प्रथम वाहिनी बिहार सैनिक पुलिस’ रखा गया था। इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति नियमित रूप से देश के विभिन्न राज्यों में की जाती रही, जिसमें साल 1902 से 1911 तक देहली दरबार, साल 1915 में बंगाल, 1917 में मयूरभंज, 1918 में सरगुजा मध्य प्रदेश, 1935 में पंजाब, 1951 में हैदराबाद, 1953 में जम्मू-कश्मीर, 1956 में असम (नागालैंड), 1962 में चकरौता (देहरादून), 1963 में नेफा, 1968-69 में नेफा के प्रशिक्षण केंद्र हाफलौंग असम आदि शामिल हैं।

यहां तक कि साल 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय इस वाहिनी को त्रिपुरा के आंतरिक सुरक्षा कार्यों के लिए भी प्रतिनियुक्त किया गया था। उस वक्त साहसपूर्ण कार्यों के लिए वाहिनी को भारत सरकार ने ‘पूर्वी सितारा पदक’ से अलंकृत किया था। साल 1982 में दिल्ली में आयोजित नवम एशियाड खेलकूद समारोह के दौरान इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति की गई, जहां बेहतर कार्य के लिए दिल्ली सरकार ने इसे सराहा था। साल 2000 में झारखंड के अलग गठन के बाद इस वाहिनी का नाम ‘झारखंड आर्म्ड पुलिस’ (JAP) रखा गया था। साल 2004 और 2011 में इस वाहिनी के बिगुलर और बैंड पार्टी ने अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया था।

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