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झारखंड में टूट चुकी है PLFI की कमर! इस साल सबसे ज्यादा मारे गए इस संगठन के नक्सली

पीपल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI) नक्सल प्रभावित राज्य झारखंड का सबसे बड़ा नक्सली संगठन है। इसने सालों से राज्य में लाल आतंक का राज कायम कर रखा है। इस संगठन के नक्सलियों ने अब तक न जाने कितने जवानों और मासूमों की जानें ली हैं। इनकी सक्रियता बिहार में भी है। PLFI के नक्सली हत्या, आगजनी, लेवी वसूली और सुरक्षाबलों पर हमले की कई घटनाओं में शामिल हैं। इतना ही नहीं, यह नक्सली संगठन हत्या की भी सुपारी लेता है। लेकिन सरकार और प्रशासन की सख्ती और नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों से राज्य में इस खतरनाक नक्सली संगठन की नींव हिल गई है।

PLFI के नक्सली (फाइल फोटो)।

झारखंड लिबरेशन टाइगर (JLT) से पीपल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI) बने इस उग्रवादी संगठन का दबदबा अब राज्य में कम होता जा रहा है। इस संगठन के हार्डकोर नक्सली एक के बाद एक गिरफ्तार होते जा रहे हैं। अभी हाल ही में रांची-खूंटी के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय PLFI के कमांडर और खूंखार नक्सली अखिलेश गोप अपने 12 साथियों के साथ रांची से गिरफ्तार हुआ था। अखिलेश गोप की गिरफ्तारी से रांची-खूंटी के सीमावर्ती इलाकों PLFI की रीढ़ टूट गई है। इसके अलावा पिछले एक साल के दौरान PLFI (पीएलएफआइ) के कई हार्डकोर उग्रवादी गिरफ्तार हुए और कई एनकाउंटर में मारे भी गए, जिससे इलाके में पीएलएफआइ की कमर पूरी तरह टूट गई है।

हालांकि, PLFI के दो खूंखार नक्सलियों की जोड़ी अभी पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई है। इन दोनों नक्सलियों को मार गिराना पुलिस का अगला टारगेट है। इनमें से एक नक्सली है पीएलएफआइ का जोनल कमांडर जिदन गुड़िया और दूसरा है पीएलएफआइI प्रमुख दिनेश गोप। पुलिस जिदन की तलाश में जोर-शोर से छापेमारी कर रही है। लेकिन जिदन गुड़िया पुलिस की पकड़ से बाहर है। पीएलएफआइ का सुप्रीमो दिनेश गोप भी पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है। वह इतना खूंखार और शातिर है कि उसकी एक तस्वीर तक पुलिस के पास नहीं है। बता दें कि टेरर फंडिंग के मामले में एनआइए (NIA) ने दिनेश गोप को स्थाई तौर पर फरार घोषित किया है।

इस साल मारे गए सबसे अधिक PLFI के नक्सली

झारखंड में जनवरी, 2019 से लेकर अब तक पुलिस और नक्सली संगठनों के बीच हुई मुठभेड़ों में 26 नक्सलियों की मौत हुई है। जिसमें सबसे अधिक PLFI के उग्रवादी मारे गए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 26 में से 11 पीएलएफआइ के नक्सली हैं। इन मारे गए पीएलएफआइ के उग्रवादियों में कई ऐसे नक्सली शामिल हैं जिनके ऊपर सरकार ने इनाम घोषित कर रखा था और ये पुलिस के लिए भी बड़ी चुनौती बने हुए थे। हाल के दिनों में देखा जाए तो गया, रांची के ग्रामीण इलाकों, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, खूंटी, हजारीबाग और सिंहभूम में PLFI उग्रवादी संगठन की सक्रियता में काफी कमी आई है।

पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI) का इतिहास

पीपल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI) से पहले यह संगठन झारखंड लिबरेशन टाइगर (JLT) के नाम से जाना जाता था। दरअसल यह संगठन नक्सलियों के प्रभाव वाले इलाकों में उनसे लोहा लेने के लिए बना था। इसमें नक्सली संगठन छोड़कर आए लोगों को शामिल किया गया था। पहले इस संगठन के लोग पुलिस की मदद करते थे और पुलिस को माओवादियों के बारे में सूचना देते थे। लेकिन धीरे-धीर संगठन अपने उद्देश्यों से भटकने लगा। संगठन अब हथियारों और संसाधनों से लैस होने लगा। देखते ही देखते झारखंड लिबरेशन टाइगर (JLT) नाम का यह संगठन पीपल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI) के नाम से नक्सलियों के समानांतर खड़ा हो गया। रांची के ग्रामीण इलाकों, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, खूंटी, हजारीबाग और सिंहभूम में इस संगठन ने मजबूत नेटवर्क खड़ा कर लिया। यह अब नक्सलियों की तरह हिंसक घटनाओं को अंजाम देने की तैयारी करने लगा। साथ ही, संगठन ने लोगों से लेवी वसूलना भी शुरू कर दिया।

PLFI को कब-कब लगा झटका

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