चुनाव लोकतंत्र का महापर्व है। देश के हर वयस्क नागरिक को चुनाव में मत देने (Voting) का अधिकार है। हर जागरूक मतदाता कुछ आशा और एजेंडे पर वोट करता है। मतदाताओं को बरगलाने की कोशिश करनेवालों से सावधान रहने की जरूरत है। ये बातें हार्डकोर माओवादी महाराज प्रमाणिक के माता-पिता ने कही।
सरायकेला-खरसावां जिले के ईचागढ़ प्रखंड के दारुदा निवासी कुख्यात नक्सली महाराज प्रमाणिक के माता-पिता हर चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। इस चुनाव में भी वे मतदान (Voting) करेंगे। उन्होंने कहा कि पूरे राज्य के साथ अपने गांव-समाज का विकास हो, इस उम्मीद से वे मतदान करते हैं। सभी लोगों की अपनी-अपनी विचारधारा है। चुनाव के बाद जनप्रतिनिधि और सरकार को मतदाताओं की भावना की कद्र करनी चाहिए। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला अनुमंडल के गुड़ाबांधा थाना क्षेत्र का जियान गांव, यह सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। इस गांव के ही हार्डकोर नक्सली कान्हू मुंडा और उसके दस्ते ने पुलिस और प्रशासन की नाक में दम कर रखा था।
कान्हू मुंडा ने अपने दस्ते के 12 सदस्यों के साथ 15 फरवरी, 2017 को जमशेदपुर के गोलमुरी पुलिस लाइन में झारखंड के सरेंडर नीति के तहत आत्मसमर्पण कर दिया था। अब इन पूर्व नक्सलियों के परिजन और जेल से बाहर आ चुके माओवादी दस्ते के सदस्य संवैधानिक प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन करने में विश्वास रखते हैं। उनका कहना है कि विधानसभा चुनाव में वे वोट (Voting) जरूर करेंगे। वे झारखंड के विकास के लिए वोट करेंगे। साथ ही लोगों से अपील भी कर रहे हैं कि वे लोग भी वोट जरूर करें। माओवादी कान्हू मुंडा के पिता योगेश्वर मुंडा की तबीयत खराब है। कान्हू की पत्नी बैशाखी मुंडा आंगनबाड़ी सेविका है। वह अपनी मेहनत से बेटियों को पढ़ा रही है। दोनों एमएससी की पढ़ाई कर रही हैं। बड़ी बेटी जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज जबकि छोटी धनबाद से पढ़ाई कर रही है।
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कान्हू की बेटियों ने कहा कि वे शांति से जीना चाहती हैं। मतदान करने की उम्र हो चुकी है इसलिए वोट देने जरूर जाएंगी क्योंकि मतदान (Voting) का महत्व समझती हैं। व्यवस्था से शिकायत है लेकिन सरकार पर भरोसा भी है। कान्हु मुंडा के साथ आत्मसमर्पण करने वाला नक्सली भुगलू सिंह एक सप्ताह पहले ही जेल से निकला है। उसने कहा कि वह मतदान जरूर करेगा। भुगलू की मां भारती सिंह और पिता जगन्नाथ सिंह ने कहा कि आज तक भुगलू के बेटे छवि लाल सिंह का दाखिला आठवीं में नहीं हो पाया। इसके लिए वे कई लोगों से अनुरोध भी कर चुके हैं। इसका उन्हें मलाल है। लेकिन वे कहते हैं, ‘वोट तो वे हर हाल में देंगे। यह हमारा अधिकार है।’
जियान गांव के चुनु मुंडा ने भी कान्हू मुंडा के साथ सरेंडर किया था। उसके खिलाफ मामला दर्ज नहीं होने के कारण तत्काल छोड़ दिया गया। चुनु मंडा गांव में ही खेतीबारी कर जीविकोपार्जन करता है। उसका कहना है कि वोट पहले भी देते थे, इस बार भी देंगे। पूरा गांव वोट देता है। नक्सलियों के परिजनों और पूर्व नक्सलियों का लोकतंत्र में यह विश्वास इस बात का सूचक है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में बदलाव आ रहा है। लोगों में जागरूकता आ रही है। वे अपने लोकतांत्रिक अधिकारों और कर्तव्यों को ले कर सजग हैं। अव वह दिन दूर नहीं जब लोगों की यह जागरूकता नक्सलवाद के समूल विनाश का कारण बनेगी।
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