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‘कश्मीर का सच’ पुस्तक की रिपोर्ट, ‘आतंक के लिए इस्तेमाल हुआ कश्मीर में इंटरनेट’

जम्मू–कश्मीर (Jammu Kashmir) को अस्थिर करने के लिए पाकिस्तान‚ उसके प्रायोजित आतंकी और अलगाववादी संगठनों ने इंटरनेट और सोशल मीडिया का‚ आतंकवाद को बढ़ावा देने‚ घाटी में भारत विरोधी भावनाएं भड़काने तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फेक न्यूज अभियान चलाने के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है।

Mobile Internet Suspended In Jammu Kashmir & Laddakh after demolish of Article 370

यह खुलासा नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया (एनयूजेआई) द्वारा शनिवार को यहां प्रगति मैदान में इन दिनों चल रहे विश्व पुस्तक मेले में जारी की गई एक रिपोर्ट ‘कश्मीर का सच’ में किया गया है। रिपोर्ट में जम्मू–कश्मीर (Jammu Kashmir) को दो भागों में विभाजित करने एवं अनुच्छेद 370 की धारा दो एवं तीन को विलोपित करने और 35A को समाप्त करने के बाद करीब छह महीने के दौरान जम्मू–कश्मीर (Jammu Kashmir) और लद्दाख में ऐतिहासिक बदलाव के पलों को‚ इस दौरान घटी घटनाओं‚ राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने से संबंधित विभिन्न पहलुओं‚ कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी से लेकर सुरक्षा और आतंक के फलने–फूलने जैसे मुद्दों का विश्लेषण किया गया है।

केंद्र शासित प्रदेश में अलगाववादियों और स्थानीय राजनीतिक दलों के तीखे विरोध एवं मीडिया की रिपोर्टों में एक खास प्रकार की तस्वीर उभारे जाने के बीच जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए एनयूजेआई के नेतृत्व में विभिन्न मीडिया संस्थानों के पत्रकारों के तीन प्रतिनिधिमंडलों ने सितम्बर 2019 में जम्मू‚ लद्दाख एवं कश्मीर घाटी का दौरा किया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद पाकिस्तान और अलगावादी संगठनों ने सोशल मीडिया के जरिए ही कश्मीर में हिंसक प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिए कुप्रचार किया जिसका परिणाम यह हुआ कि कश्मीर में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। आतंकी बुरहान वानी ने खुद भी आतंक को फैलाने और कश्मीरी नौजवानों को गुमराह करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया। पाकिस्तान और अलगाववादी संगठनों ने 5 अगस्त 2019 को कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी होने के बाद भी सोशल मीडिया के जरिए आतंक और हिंसा फैलाने की साजिश रची थी लेकिन सुरक्षा के तहत इंटरनेट पर पाबंदी और सुरक्षा एजेंसिंयों की सजगता के चलते पाकिस्तान‚ आतंकी और अलगाववादी संगठन अपने मकसद में सफल नहीं हो पाए।

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यह रिपोर्ट पुस्तिका जम्मू–कश्मीर (Jammu Kashmir) और लद्दाख के नागरिक समूह‚ हित धारकों से लेकर विभिन्न रूझान रखने वाले समूह और शांत एवं अशांत क्षेत्रों से गुजरते हुए जो देखा‚ समझा और उसके आधार पर अलग अलग पहलुओं को सामने रखने वाली है इसलिए यह रिपोर्ट कश्मीर के असल मुद्दों और समस्या के साथ–साथ समाधान भी दिखाती है। असल में अनुच्छेद 370 तथा 35A के निष्प्रभावी होने के बाद देश के राजनीतिक गलियारों में कश्मीर घाटी को लेकर प्रचारित बातों का जमीनी आकलन करने पर अनेक दिलचस्प पहलू सामने आए। लिहाजा यह रिपोर्ट देश के नीति-निर्धारकों के लिए भी पत्रकारों की दृष्टि से समस्याओं को समझने और उसका समाधान करने में उपयोगी साबित होगी।