केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में हालात सामान्य करने की दिशा में एहतियात के तौर पर एक-एक कर प्रतिबंधों को हटाने में लगा है, लेकिन उसकी यह कोशिश जल्द रंग लाती दिखाई नहीं देती। शासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती कानून-व्यवस्था तथा सुरक्षा को लेकर है।
शायद यही वजह है कि आगामी 24 अक्टूबर को होने वाले बीडीसी के चुनाव में बीजेपी के कईं नेता पार्टी चिह्न पर चुनाव न लड़ कर निर्दलीय मैदान में उतरे हैं। सूत्रों का कहना है कि आतंकियों की धमकियों के मद्देनजर यह बीजेपी नेता निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए मजबूर हैं। घाटी में बीते 2 अगस्त को जारी सालाना अमरनाथ यात्रा के बीच राज्य के गृह विभाग ने अचानक एक एडवाइजरी जारी कर कश्मीर में मौजूद सभी पर्यटकों को फौरन वहां से निकल जाने की हिदायत दी थी। फिर उसके तीन दिन बाद यानी 5 अगस्त को सूबे से विवादित अनुच्छेद 370 व 35ए को हटाए जाने के साथ ही कईं तरह की पाबंदियां लागू कर दी गईं। शासन ने यह कदम कानून व्यवस्था बनाए रखने तथा सुरक्षा की दृष्टि से एहतिययत के तौर पर उठाए। सूत्रों का कहना है कि तब से लेकर आज तक इस प्रकार के लगातार खुफिया इनपुट्स शासन व केंद्र सरकार को मिल रहे हैं कि घाटी में मौजूद अलगाववादी, शरारती तत्वों से लेकर आतंकियों तक माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
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इधर सूबे (Jammu Kashmir) के शासन ने घाटी में कईं जगह लोगों की आवाजाही पर लगे प्रतिबंध से लेकर लैंडलाइन टेलीफोन तथा अब सोमवार को पोस्टपेड मोबाइल सेवा पर लगी पाबंदी को हटा लिया है। जिसका करीब 40 लाख उपभोक्ता लाभ उठाएंगे। घाटी में लगी पाबंदियों के आज 72वें दिन के बाद भी जमीनी हालात कम चिंताजनक नहीं हैं। इसका अंदाज इससे भी सहज लगाया जा सकता है कि दो दिन पहले सूबे के शासन की ओर से घाटी के आवाम को संबोधित करते हुए स्थानीय अखबारों में जो इश्तहार निकाले गए, उसमें लोगों से हालात सामान्य बनाने के लिए शासन की मदद की अपील की गई थी।
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अगामी 24 अक्टूबर को सूबे (Jammu Kashmir) में पहली बार बीडीसी के चुनाव होने जा रहे हैं। जिसमें 310 सीटों के लिए मतदान होना है। बीजेपी 280 सीटों पर चुनाव मैदान में है। जिनमें घाटी की 137 सीटों में से बीजेपी 120 सीट पर अपने प्रत्याशी खड़े कर रही है। लेकिन बीजेपी के लिए यह दुविधा अथवा चुनौती ही है कि घाटी की इन 120 सीटों में से करीब 60 सीटों पर उनके नेता निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे हैं। दो दिन पूर्व नामांकन पत्र वापिस लेने की कवायद के बाद 27 बीडीसी चेयरमैन पद के लिए प्रत्याषी निर्विरोध चुनाव जीत गए। इसलिए अब 283 सीटों के लिए जम्मू, घाटी तथा लद्दाख में चुनाव होना है।बीडीसी के इन अहम चुनाव में घाटी आधारित पीडीपी तथा नेशनल कांफ्रेंस के बाद कांग्रेस ने भी यू टर्न लेते हुए इन चुनाव के बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया। पीडीपी तथा नेंका ने गत वर्ष हुए पंच तथा सरपंच चुनाव में भी बायकाट किया था जबकि कांग्रेस चुनाव मैदान में उतरी थी और उसे कुछ हद तक कामयाबी भी मिली थी। तब यह चुनाव निर्दलीय के तौर पर सम्पन्न हुए थे। परंतु अब बीडीसी के चुनाव पार्टी चिह्न पर भी लड़े जा रहे हैं। जम्मू संभाग में बीजेपी बेहद मजबूत स्थिति में दिखाई देती है। उसका यहां कईं जगह मुकाबला पैंर्थस पार्टी से है।