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जम्मू कश्मीर: घाटी में आतंकियों के मददगार और ओवर ग्राउंड वर्कर्स की आई शामत, सुरक्षाबलों ने शुरू की धड़-पकड़

जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पर काबू पाने में जूझ रहे सुरक्षाबलों को नई से नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जिसके मद्देनजर अब सुरक्षाबलों ने आतंकियों (Militants) के मददगार ओवर ग्राउंड वर्कर्स (Over Ground Workers) की धड़पकड़ तेज कर दी है। पिछले 3 दिन के भीतर उत्तरी कश्मीर से 6 ओजीडब्ल्यू गिरफ्तार किए गए हैं। जैश-ए-मोहम्मद और अल-बदर के कुछ आतंकियों को भी पकड़ा गया है।

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दरअसल कम उम्र के नौजवानों को आतंकवाद की अंधी गली में धकेलने में ओजीडब्ल्यू (Over Ground Workers) की अहम भूमिका होती है। ओजीडब्ल्यू इन्हें बहकाते हैं। सेना, सीआरपीएफ और राज्य पुलिस द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न ऑपरेशन में कम उम्र के नौजवान भी मारे जा रहे हैं। ये सभी अचानक घर से लापता होकर आतंकी बन बैठते हैं। सुरक्षा एजेंसियों के सामने कम उम्र के नौजवानों को आतंकी बनने से रोकना बड़ी चुनौती है। अब जिस प्रकार आतंकियों (Militants) द्वारा मस्जिदों को अपनी ढाल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है वह भी एक बड़ी चुनौती है।

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) और उसके पाकिस्तान में बैठे आतंकी सरगना घाटी में एक सोची समझी साजिश के तहत सुरक्षाबलों के खिलाफ मस्जिदों को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने में लगे हैं। क्योंकि सुरक्षाबल मस्जिदों में छिपे आतंकियों (Militants) को मार गिराने की कोशिश नहीं करेंगे और उन्हें वहां से सुरक्षित निकलने का रास्ता देंगे और यदि सुरक्षाबल उन पर हमला करते है तो मस्जिद को बहाना बनाकर सुरक्षाबलों के खिलाफ एक माहौल बनाया जाएगा। सुरक्षाबलों को इन नई साजिशों की जानकारी है और वह बेहद सतर्क तरीके से मस्जिदों में छुपे आतंकियों को भी निपटाने में लगे है।

घाटी में स्थित मस्जिदों वह दरगाहों को 90 के दशक में भी आतंकी अपनी पनाहगाह बनाते रहे है। तब घाटी की विख्यात हजरत बल और चरार-ए-शरीफ दरगाह को भी आतंकियों (Militants) द्वारा अपना ठिकाना बनाने व लोगों को बंधक बनाने की कोशिश की गई। 1995 में पवित्र दरगाह चरार-ए-शरीफ को आतंकियों से मुक्त कराने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी।

कभी जोर मुजाहिदीन जो कि उस वक्त आतंकियों (Militants) का सबसे बड़ा संगठन था, के आतंकियों ने बड़ी संख्या में दरगाह में घुसपैठ कर वहां कई लोगों को बंधक बना लिया था। उस समय सेना, बीएसएफ और स्थानीय पुलिस द्वारा चलाए गए संयुक्त ऑपरेशन में करीब 30 आतंकी मारे गए थे। जबकि पांच सुरक्षाबल के जवानों को भी शहादत देनी पड़ी थी। मारे गए लोगों में एक स्थानीय नागरिक भी शामिल था।