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Ishrat Jahan Encounter Case: विशेष CBI अदालत ने सभी आरोपियों को किया बरी, फैसले में कही ये बात

हाईकोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि मुठभेड़ (Ishrat Jahan Encounter Case) फर्जी थी, जिसके बाद सीबीआई ने कई पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।

अहमदाबाद की विशेष सीबीआई (CBI) अदालत ने 31 मार्च को इशरत एनकाउंटर केस (Ishrat Jahan Encounter Case) में तीन आरोपियों को बरी कर दिया। गुजरात सरकार द्वारा तीन आरोपी पुलिस अधिकारियों- आईपीएस अधिकारी जीएल सिंघल, सेवानिवृत्त डिप्टीएसपी तरुण बरोत और एक सहायक उप-निरीक्षक अनाजू चौधरी पर मुठभेड़ मामले में मुकदमा चलाने से इनकार करने के बाद यह फैसला आया है।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने 20 मार्च को अदालत को सूचित किया था कि राज्य सरकार ने तीनों आरोपियों के खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। तीनों के खिलाफ कार्रवाई ना किए जाने के फैसले के बाद ट्रायल व्यावहारिक रूप से खत्म हो गया। ये तीनों अधिकारी ही इस केस में आखिरी तीन आरोपी थे, जिन्हें बरी कर दिया गया है।

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इसके अलावा अन्य कुछ अधिकारियों को पहले ही कोर्ट से बरी किया जा चुका है। ये अंतिम तीन पुलिस अधिकारी थे जिन पर हत्या, आपराधिक साजिश, अपहरण और 19 साल की लड़की को अवैध हिरासत में रखने का आरोप लगा था।

बता दें कि मुम्ब्रा की 19 साल की लड़की इशरत जहां, उसके साथी जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई, जीशान जौहर और अमजद अली राणा को 15 जून, 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में एक पुलिस मुठभेड़ (Ishrat Jahan Encounter Case) में गोली मार दी गई थी। पुलिस का दावा था कि मुठभेड़ में मारे गए चारों लोग आतंकवादी थे और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की योजना बना रहे थे।

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इसके बाद हाईकोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि मुठभेड़ (Ishrat Jahan Encounter Case) फर्जी थी, जिसके बाद सीबीआई ने कई पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इस केस में सीबीआई ने 2013 में चार्जशीट दाखिल की थी और उसमें 7 पुलिस अधिकारियों को आरोपी बताया था।

इन अफसरों में पीपी पांडे, वंजारा, एनके आमीन, जेजी परमार, जीएल सिंघल, तरुण बरोट और अनाजू चौधरी शामिल थे। इन सभी पुलिस अधिकारियों पर हत्या, मर्डर और सबूतों को मिटाने का आरोप लगाया गया था, लेकिन 8 साल बाद सभी बरी हो गए हैं।

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राज्य सरकार द्वारा अभियोजन स्वीकृति से इनकार करने के बाद साल 2019 में सेवानिवृत्त डीआईजी डीजी वंजारा और एसपी एनके अमीन को इस मामले में बरी किया था। इससे पहले अदालत ने इस मामले में पूर्व प्रभारी डीजीपी पीपी पांडे को भी बरी कर दिया था।