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भारतीय सुरक्षाबलों के सामने पाकिस्तान की हर चाल हो गई है नाकाम, अब ऑनलाइन आतंकियों की भर्ती कर रहे हैं पाक के आतंकी संगठन

सांकेतिक तस्वीर

भारतीय सुरक्षाबलों (Security Forces) की कड़ी चौकसी के चलते पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन अब ऑनलाइन और मोबाइल स्पेस में ‘एप्लिकेशन’ का इस्तेमाल करते हुए जम्मू कश्मीर में भर्ती करने में जुट गए हैं। सुरक्षाबलों (Security Forces ) की चौकसी के कारण उनके लिए सीधे तौर पर आमने-सामने आकर संपर्क करना मुश्किल हो गया है।

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सैन्य अधिकारियों ने खुफिया रिपोर्टों और तकनीकी निगरानी के हवाले से बताया कि नये लोगों को शामिल करने के लिए उनकी भावनाओं को भड़काने के लिये पाक के आईएसआई ‘हैंडलर’ सुरक्षाबलों (Security Forces ) के कथित अत्याचारों के फर्जी वीडियो का अक्सर इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए झूठी कहानियां गढ़ी जाती हैं।

इससे पहले आतंकवाद समर्थक ये लोग आतंकी संगठनों में नये सदस्यों को शामिल करने के लिए उनसे फेस-टू-फेस संपर्क करते थे। लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता के बाद ये संगठन अपने तौर-तरीकों को बदलने के लिए मजबूर हो गये हैं। साल 2020 में भारतीय सुरक्षाबलों (Security Forces ) ने 24 से अधिक आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया और 40 से अधिक इस तरह के आतंकी समर्थकों या इनसे सहानुभूति रखने वालों को गिरफ्तार किया है।

पिछले महीने ही दो आतंकियों तवर वाघेई और अमीर अहमद मीर ने भारतीय सेना के 34 राष्ट्रीय राइफल्स के सामने सरेंडर किया था। इन लोगों ने आतंकी माड्यूल्स में अपने शामिल होने के संबंध में विस्तृत जानकारी भी साझा की, जिससे इस बात का खुलासा हुआ है कि ऑनलाइन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बड़े पैमाने पर आतंकियों की भर्ती की जा रहा है।

सैन्य अधिकारियों के अनुसार दोनों आतंकी फेसबुक के जरिये पाकिस्तान के एक हैंडलर के संपर्क में आए थे, जिसने उन्हें भर्ती होने का प्रलोभन दिया और भर्ती करने वालों के हवाले कर दिया। जिनका नाम खालिद और मोहम्मद अब्बास शेख था। इसके बाद दोनों नवनियुक्त आतंकियों को यूट्यूब के प्लेटफॉर्म पर मौजूद कई वीडियो का इस्तेमाल करते हुए ऑनलाइन ट्रेनिंग भी प्रदान करवाई गई।

सैन्य अधिकारियों के मुताबिक, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने स्थानीय निवासियों से मिली खुफिया जानकारी के बाद कई आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है। जिनमें करीब 40 ऐसे मामले थे। इन लोगों को पाकिस्तान में बैठे आतंकी आकाओं के आदेशों का इंतजार था। आतंकी संगठनों को निश्चित रूप से हथियारों की कमी का सामना करना पड़ रहा है और यही एक कारण है कि सीमा पार से अकसर ड्रोन की गतिविधि देखने को मिल रही है।