भारतीय सेना (INDIAN ARMY) अलग-अलग धर्म के गुरुओं की नियुक्ति करती है। ये धर्म गुरू सेना द्वारा संचालित होने वाले मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे आदि में पूजा या इबादत करवाते हैं।
राफेल लड़ाकू विमान अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर गुरुवार को औपचारिक तौर पर भारतीय वायु सेना में शामिल हो गया। इस दौरान सभी धर्मों के गुरुओं ने पूजा पाठ करते हुए देश की रक्षा के लिए प्रार्थना की। इस दौरान पंडित,पादरी, मौलवी और सिख गुरू मौजूद थे।
ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल उठा होगा कि क्या सेना में धर्म गुरू बना जा सकता है? इसका जवाब है..हां, अगर आपकी रुचि आध्यात्म में है तो आप सेना में धर्म गुरू बन सकते हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर सेना में धर्म गुरुओं का काम क्या-क्या होता है?
दरअसल भारतीय सेना (INDIAN ARMY) अलग-अलग धर्म के गुरुओं की नियुक्ति करती है। ये धर्म गुरू सेना द्वारा संचालित होने वाले मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे आदि में पूजा या इबादत करवाते हैं।
इन धर्मगुरुओं को सेना में रहने के दौरान उपदेश भी देना होता है और ये जवानों का आध्यात्मिक रूप से मार्गदर्शन भी करते हैं। जवानों के जो भी रीति-रिवाज हैं, उसकी जानकारी इन धर्मगुरुओं को ही होती है।
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जो लोग धर्मगुरू बनना चाहते हैं, उन्हें किसी भी सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन या धर्म से रिलेटेड डिग्री या डिप्लोमा होना चाहिए।
हालांकि धर्मगुरू बनने के लिए इतना ही काफी नहीं है। इनकी नियुक्ति के लिए भी वही मापदंड होते हैं जो एक सैनिक के लिए होते हैं। यानी धर्मगुरू बनने के लिए भी आपको कड़े प्रशिक्षण से गुजरना होगा और शारीरिक रूप से फिट होना होगा।
भारतीय सेना विज्ञापनों या समाचार पत्रों द्वारा धर्मगुरुओं के पदों के लिए नियुक्तियां करती है। इसमें आवेदन की उम्र की सीमा न्यूनतम 25 साल और अधिकतम 34 साल होती है। इसके अलावा रिलीजियस टीचर के लिए किसी सब्जेक्ट में ग्रेजुएट होना अनिवार्य है।
धर्म गुरुओं की मेडिकल जांच भी सैनिकों की तरह ही होती है और इसमें भी लंबाई और चौड़ाई के मानक तय किए गए हैं। सेना में इन धर्मगुरुओं की सैलरी 57,100 रुपए से लेकर 1.77 लाख रुपए तक होती है.
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