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Indian Army को पहली बार भेजी गई देश में बनी बुलेटप्रूफ जैकेट

भारतीय सेना (Indian Army) को पहली बार देश में बनी 40 हजार बुलेटप्रूफ जैकेट की आपूर्ति की गई है। इन जैकेट की पहली खेप जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में जुटे सैनिकों को मिलेगी।

केंद्र सरकार ने पहली बार देश में बनी करीब 40 हजार बुलेटप्रूफ जैकेट की खेप कश्मीर भेजी है।

जम्मू-कश्मीर में आए दिन Indian Army के जवानों को आतंकियों से दो-दो हाथ करना पड़ता है। आतंकियों की अंधाधुंध गोलीबारी में हमारे जवान भी कई बार शहीद हो जाते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने पहली बार देश में बनी करीब 40 हजार बुलेटप्रूफ जैकेट की खेप कश्मीर भेजी है। ये जैकेट कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑलआउट चल रहे सेना के जवानों को मुहैया कराई जाएगी। इस जैकेट की खासियत यही होगी कि इसे पहनने के बाद एके-47 की तड़ातड़ गोलीबारी भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। ये जैकेट स्टील से बनी गोलियों को भी झेल सकेगी। फिलहाल इन जैकेट को कानपुर स्थित सेंट्रल ऑर्डिनेंस डिपो पहुंचाया गया है।

यहां से जल्द ही इन्हें जम्मू-कश्मीर भेजा जाएगा। इन्हें बनाने वाली कंपनी की तरफ से मेजर जनरल अनिल ओबेरॉय ने बताया कि वो सेना को समय से पहले ही इन जैकेट का ऑर्डर पूरा कर देंगे। सरकार ने यह ऑर्डर पूरा करने के लिए कंपनी को 2021 तक की तारीख दी है, लेकिन 2020 के अंत तक सारी जैकेट बन कर तैयार हो जाएंगी। आपको बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने सेना को पिछले साल ही बुलेटप्रूफ जैकेट देने की योजना बनाई थी, जिसके लिए सेना ने 639 करोड़ रुपए का सौदा किया था। इसके तहत सेना को 1.86 लाख उच्च स्तरीय जैकेट मिलनी हैं। रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि इस प्रोजेक्ट से सरकार की मेक इन इंडिया योजना को भी बढ़ावा मिलेगा।

इसे Indian Army और उद्योगों का आत्मविश्वास बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है। इन जैकेटों को बोरॉन कार्बाइड सेरेमिक से तैयार किया गया है, जो कि सुरक्षा के लिए सबसे हल्का और बेहतरीन मैटेरियल है। ये जैकेट जवानों के शरीर को 360 डिग्री सुरक्षा देगी, जिससे युद्ध और एंटी टेरर ऑपरेशन में भी इनका इस्तेमाल किया जा सकेगा। मॉड्यूलर पार्ट्स से बनी होने के कारण ये लचीली हैं और पहनने में आसान तथा सुविधाजनक भी हैं। इन जैकेट्स की आपूर्ति सेना के आधुनिकीकरण की ओर कदम के तौर पर देखा जा रहा है। सेना प्रमुख बिपिन रावत भी दुश्मनों से निपटने के लिए सेना के आधुनिकीकरण और स्वदेशी तकनीक के इस्तेमाल की वकालत करते हैं।

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