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Indian Air Force: वायुसेना में शामिल हुई ‘फ्लाइंग बुलेट्स’, चीन की हर हरकत पर रखेगी कड़ी नजर

वायुसेना में शामिल हुई 'फ्लाइंग बुलेट्स'।

देश में इस वक्त चीन और नेपाल से बॉर्डर पर तनाव बढ़ा हुआ है। इस बीच हिंद महासागर (Indian Ocean) में चीन (China) पर नजर रखने के लिए भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के देसी लड़ाकू विमान तेजस (Fighter Jet Tejas) की दूसरी स्क्वॉड्रन वायुसेना में शामिल हो गई। इस स्क्वाड्रन को ‘फ्लाइंग बुलेट्स’ (Flying Bullets) कोड नेम दिया गया है।

27 मई को इसकी शुरुआत वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया (RKS Bhadauria) ने की। वायुसेना प्रमुख (Air Chief Marshal) ने स्वयं तेजस लड़ाकू विमान में उड़ान भरी। इस कार्यक्रम का आयोजन तमिलनाडु के कोयम्बटूर के पास सुलूर एयरफोर्स स्टेशन पर किया गया। लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट यानी कि LCA तेजस से सुसज्जित होने वाली 18वीं स्क्वॉड्रन वायुसेना (Indian Air Force) का तेजस उड़ाने वाली दूसरी स्क्वॉड्रन है।

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यह तेजस पुराने तेजस से एडवांस है जिससे इसकी ताकत और बढ़ गई है। तेजस (Tejas) का पहला स्क्वॉड्रन बेंगलुरु में 2016 में दो लड़ाकू विमान के साथ शुरू हुआ था। पहले यह स्क्वॉड्रन मिग 27 की थी जो अब रिटायर हो चुका है। वायुसेना के 18वीं स्क्वॉड्रन की स्थापना 15 अप्रैल, 1965 में की गई थी। 18वीं स्क्वॉड्रन ने 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया था।

यह स्क्वॉड्रन सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से भी सम्मानित हो चुका है। इसके फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इस स्क्वाड्रन को श्रीनगर में सबसे पहले लैंड करने और ऑपरेट करने के लिए उन्हें ‘डिफेंडर ऑफ कश्मीर वैली’ के उपाधि से नवाजा गया। 2015 में 18वीं स्क्वॉड्रन को राष्ट्रपति स्टैंडर्ड सम्मान से भी सम्मानित किया गया था।

 तेजस की खासियत है कि यह पूरी तरह देश में बना है। सबसे हल्का सुपरसॉनिक चौथी पीढ़ी का लड़ाकू एयरक्राफ्ट है। हल्का होने की वजह से यह दुश्मनों के एयरक्राफ्ट के छक्के छुड़ा सकता है। गौरतलब है कि वायुसेना (Indian Air Force) में तेजस की नई स्क्वाड्रन की एंट्री तब हो रही है, भारत की चीन और नेपाल के साथ तनातनी चल रही है। बीते दिनों लद्दाख में चीन और भारत के सैनिक आमने-सामने आ गए, जिसके बाद बॉर्डर पर जवानों की संख्या बढ़ा दी गई है।