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पाकिस्तान ने सिखों की धार्मिक भावनाओं से किया खिलवाड़, करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को लेकर पाक पर बरसा भारत

Kartarpur Sahib

भारत ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारा (Kartarpur Sahib) का प्रबंध व देखरेख का काम एक गैर सिख संस्था को सौंपे जाने के पाकिस्तान के फैसले का कड़ा विरोध किया। भारत ने इसे पाकिस्तान (Pakistan) के अल्पसंख्यक सिख समुदाय के लोगों की धार्मिक भावना आहत करने वाला कदम बताया है। भारत ने पाकिस्तान सरकार से आह्वान किया कि वह सिखों की भावनाओं के विरुद्ध इस मनमाने फैसले को वापस ले।

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विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा‚ हमने उन रिपोर्टों को देखा जिनके अनुसार पाकिस्तान (Pakistan) पवित्र गुरुद्वारा करतारपुर साहिब (Kartarpur Sahib) का प्रबंधन व देखरेख का काम अल्पसंख्यक सिख समुदाय की संस्था पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से लेकर एक गैर सिख संस्था इवेक्वी ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के हाथों दिया जा रहा है। पाक के प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट में कुल 9 सदस्य शामिल हैं जिसमें एक भी सिख सदस्य नहीं है। जबकि इस कमेटी का सीईओ मोहम्मद तारिक खान को बनाया गया है। इमरान सरकार की ओर से जारी किए गए नए आदेश में प्रोजेक्ट बिजनेस प्लान का भी जिक्र है। जिसका अर्थ है, पाक सरकार अब गुरुद्वारे से भी पैसा कमाने की फिराक में है। इवेक्वी ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड को पूरे तरीके से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई कंट्रोल करती है।

भारत सरकार के बयान में कहा गया‚ पाकिस्तान (Pakistan) का यह एकतरफा निर्णय निंदनीय है और करतारपुर साहिब (Kartarpur Sahib) कॉरिडोर खोले जाने की भावना और सिख समुदाय के धार्मिक ख्यालों के विरुद्ध है। ऐसे कदम पाकिस्तानी सरकार और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों व कल्याण के लंबे चौड़े दावों की असलियत उजागर करते हैं। विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान से आह्वान किया कि वह सिख समुदाय के अधिकारों के हनन करने वाले मनमाने फैसले को वापस ले।

भारत सरकार ने बयान में कहा गया कि गुरुद्वारा करतारपुर साहिब (Kartarpur Sahib) के प्रबंध संबंधी मामलों का प्रबंध करने का अधिकार सिख समुदाय का है। पंजाब के पूर्व मंत्री और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू के दोस्त इमरान खान की इस हरकत से उसकी असली मानसिकता उजागर होती है। इसे एकतरफा फैसला करार देते हुये भारत ने कहा कि यह फैसला हाल ही में खोले गये करतारपुर साहिब गलियारे और सिख समुदाय की धार्मिक भावना के विरुद्ध है और हमें सिख समुदाय की तरफ से पाक (Pakistan) के इस फैसले के खिलाफ कई शिकायतें मिल रही हैं।