भारत ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लेकर दुनिया के अधिकतर देशों का समर्थन हासिल करने का गुरुवार को दावा किया और इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) की ओर से पाकिस्तान के आग्रह पर कश्मीर मुद्दे पर विशेष सत्र बुलाये जाने को अटकल मात्र बताया और कहा कि ऐसी किसी बैठक की कोई आधिकारिक सूचना नहीं है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल के जवाब में कहा कि हमने दुनिया के सभी देशों से संपर्क साधा गया और अपने मिशनों को पत्र लिख कर CAA और NRC को लेकर उन देशों की सरकारों को उनके दृष्टिकोण से अवगत कराने को कहा है।
प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि मोटे तौर पर चार-पांच बिन्दुओं को रेखांकित किया गया है।
1- यह हमारा आंतरिक मसला है।
2- इस कानून से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार लोगों को जल्दी नागरिकता मिलना मात्र सुनिश्चित हुआ है।
3- इससे किसी भी समुदाय के नागरिकता हासिल करने के अधिकार का कतई हनन नहीं होता है।
4- इससे किसी की नागरिकता छीनी नहीं गई है तथा पांचवां इससे संविधान में वर्णित किसी के भी अधिकार का कोई हनन नहीं होता है।
प्रवक्ता ने कहा कि हमने यह भी बताया है कि CAA और NRC दो अलग -अलग बातें हैं और NRC उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर एवं उसी की निगरानी में लागू किया गया है। सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ देशों को छोड़कर करीब करीब सभी ने भारत के पक्ष की वैधता को स्वीकार किया है।
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सऊदी अरब एवं पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे को लेकर ओआईसी (OIC) की एक विशेष बैठक बुलाने संबंधी रिपोर्ट एवं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के दावे के बारे में पूछे जाने पर श्री कुमार ने कहा कि ऐसी सभी रिपोर्टें अटकल मात्र हैं। हमें ओआईसी (OIC) की ओर से भारत के किसी मुद्दे पर कोई बैठक बुलाये जाने की बात की कोई सूचना या जानकारी नहीं है।
पाकिस्तान एवं खाड़ी के कुछ प्रमुख समाचार माध्यमों में कहा गया है कि सऊदी अरब कश्मीर एवं भारत में मुस्लिमों के खिलाफ उठाये जा रहे तथाकथित कदमों पर विचार के लिए ओआईसी (OIC) का विशेष सत्र बुलाने पर सहमत हो गया है।