पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) की राजधानी मुजफ्फराबाद में 13 सितंबर को आयोजित अपने जलसा के दौरान प्रधानमंत्री इमरान खान ने अंतरराष्ट्रीय मुस्लिम समुदाय को कश्मीर के मुद्दे पर उकसाने की कोशिश की। लेकिन वहीं जब उइगर मुसलमानों के मुद्दे पर सवाल पूछे गए तो वे उन्हें टालते दिखे। दरअसल, अल जजीरा टीवी चैनल को 15 सितंबर को दिए गए इंटरव्यू के दौरान जब उनसे चीन में वहां की सरकार के द्वारा सताए जा रहे उइगर मुसलमानों के बारे में पूछा गया, तो इमरान इस सवाल को टालने लगे। उन्होंने कहा कि वो इस समस्या के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं।
इस इंटरव्यू में सवाल था, ‘पाकिस्तान चीन के साथ घनिष्ठ संबंध रखता है, क्या आपने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ कभी उइगरों के उत्पीड़न के मुद्दे पर चर्चा की है? इमरान ने कहा, ‘नहीं, मैंने नहीं की है, क्योंकि इसके बारे में मुझे ज्यादा नहीं पता है।’ आगे इमरान के कहा, ‘हम अभी अपनी आंतरिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, इस मुद्दे के बारे में मुझे सच में ज्यादा जानकारी नहीं है। चूंकि हम एक साल से सत्ता में हैं। हम अर्थव्यवस्था को सुधारने में लगे हैं और अब कश्मीर का मुद्दा है। हम कई समस्याओं से घिरे हुए हैं लेकिन मैं चीन के लिए एक बात कहूंगा, हमारे लिए चीन सबसे अच्छा दोस्त है।’ चीन द्वारा उइगरों पर प्रताड़ना के खिलाफ नहीं बोलने के लिए इमरान की काफी निंदा हुई है।
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दूसरे सवाल पर इमरान ने कहा, ‘इस समय, मेरी जिम्मेदारी पाकिस्तान के लोगों की है, और मेरे पास 220 मिलियन पाकिस्तानी हैं और वे मेरी जिम्मेदारी हैं। मुझे बेहतर प्रयास कर अपने देशवासियों की मदद करनी है।’ गौरतलब है कि इमरान के इस जवाब से बिल्कुल साफ है कि वह पाकिस्तानी फौज के एजेंडे पर काम कर रहे हैं। उन्हें दुनिया के मुस्लिमों की कोई फिक्र नहीं है, यहां तक कि उन्हें पीओके, बलूचिस्तान, सिंध के इलाकों में रहने वाले मुस्लिमों की भी कोई फिक्र नहीं है। बता दें कि पाकिस्तान अपने बुनियादी ढांचे के निर्माण और आर्थिक सहायता के लिए चीन पर बहुत ज्यादा निर्भर है।
बीजिंग 60 बिलियन डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का निर्माण कर रहा है, जो कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का (BRE) एक प्रमुख केंद्र बिंदु है जो चीन के उइगर मुसलमानों के इलाके शिनजियांग प्रांत में शुरू होता है। मजे की बात यह है कि इमरान से उइगर मुस्लिमों से जुड़ा यह सवाल पहले भी पूछा गया था, उस वक्त भी इमरान ने कहा था कि उन्हें उनकी स्थितियों की जानकारी नहीं है। इस साल की शुरुआत में फाइनेंसियल टाइम्स अख़बार के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, सच में मुझे इसके बारे में ज्यादा नहीं पता है। अगर मेरे पास पर्याप्त जानकारी होती तो मैं इसके बारे में बोलता, यह इतना ज्यादा अखबारों में नहीं रहता है। इसी साल जुलाई में पाकिस्तान सहित कई सारे इस्लामिक देशों ने शिनजियांग प्रांत में चीन की राजनीति की तारीफ में एक पत्र भी लिखा था।
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