15 अगस्त को शाम का समय होते-होते ये बात सामने आई कि अफगानिस्तान (Afghanistan) के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने मुल्क छोड़ दिया है और ये बात साफ हो गई कि अब तालिबान ही अफगानिस्तान को चलाएगा।
नई दिल्ली: 15 अगस्त के दिन जब भारत आजादी का जश्न मना रहा था, तो दूसरी तरफ अफगानिस्तान (Afghanistan) में एक बड़ा बदलाव हो रहा था।
15 अगस्त की सुबह ये खबर सामने आई थी कि तालिबान ने जलालाबाद को अपने कब्जे में ले लिया है और बहुत जल्द वो काबुल को भी अपने नियंत्रण में ले लेगा।
इस खबर के बाद दुनियाभर में अफगानिस्तान और तालिबान ट्रेंड करने लगा। 15 अगस्त को ही दोपहर तक तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया और ये खबर आग की तरह दुनियाभर में फैल गई।
15 अगस्त को शाम का समय होते-होते ये बात सामने आई कि अफगानिस्तान (Afghanistan) के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने मुल्क छोड़ दिया है और ये बात साफ हो गई कि अब तालिबान ही अफगानिस्तान को चलाएगा।
इन खबरों से अमेरिका की सच्चाई भी दुनिया के सामने आई जो लगातार ये दावा करता था कि बीते 20 सालों में उसने अफगानिस्तान की सेना को तालिबान से लड़ने के लिए तैयार कर दिया है। अमेरिका के ये दावे 15 अगस्त को खोखले साबित हुए।
अब अमेरिकी सरकार भी इस बात पर हैरान है कि आखिर 24 घंटे में तालिबान ने काबुल को कैसे अपने कब्जे में ले लिया और कैसे अफगान सेना ने तालिबान के सामने घुटने टेक दिए।
तालिबान के काबुल में पहुंचते ही वहां के नागरिकों की हालत खराब हो गई। नागरिकों को इस बात का ज्यादा दुख था कि इन बुरे हालातों में उनके राष्ट्रपति अशरफ गनी भी देश छोड़कर चले गए। तालिबान ने राष्ट्रपति भवन पर भी कब्जा कर लिया। ऐसे में अफगान नागरिकों को हर पल अपनी मौत का खौफ सता रहा है और वह अफगानिस्तान से पलायन करने के लिए मजबूर हैं।
तालिबान द्वारा कई क्षेत्रों में गोलीबारी और लूटपाट की खबरें सामने आ रही हैं। ऐसे में अफगान नागरिक देश छोड़कर भाग रहे हैं। यही वजह है कि काबुल एयरपोर्ट पर भारी भीड़ देखी जा रही है।