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थर-थर कांपेंगे दुश्मन, भारतीय जवानों को मिलने वाले हैं ये 3 ब्रह्मास्त्र

फाइल फोटो।

LAC पर जारी तनाव के बीच भारतीय सेना और भी ताकतवर होने वाली है। ठंड के मौसम में लद्दाख में बर्फीली चोटियों पर देश की निगेहबानी करने वाले सैनिकों की ताकत और बढ़ाने के लिए उन्हें तीन खास किस्म के हेलीकॉप्टर मिलने वाले हैं। ये हेलीकॉप्टर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा बनाए गए हैं। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के चेयरमैन आर. माधवन ने कहा कि देश में बने तीन तरह के हेलीकॉप्टर लद्दाख में सर्दियों में सैनिकों की तैनाती में मदद के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

अडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH)

बता दें कि वजन में बेहद हल्के अडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) लद्दाख में पहले से ही तैनात हैं। ये सियाचिन ग्लेशियर पर सेना को रशद पहुंचाने का काम करते हैं। भारत की थल सेना (Indian Army) और वायु सेना (Indian Air Force) इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल कर रही हैं।

आर. माधवन के मुताबिक, “आर्मी और एयर फोर्स, दोनों ही हाई अल्टिट्यूट कपैबिलिटी से लैस हेलीकॉप्टरों का उपयोग कर रही हैं। ये हेलीकॉप्टर उन जगहों पर पर्याप्त मात्रा में पेलोड पहुंचा सकते हैं जहां दूसरे देशों की सेनाओं की हालत पस्त हो सकती है। 20 से ज्यादा हेलीकॉप्टर उड़ान भर रहे हैं और सपॉर्ट टीमें काम कर रही हैं।”

एचएएल (HAL) द्वारा बनाए गए सभी हल्के हेलीकॉप्टर (ALH) बिना किसी समस्या के उड़ान भर रहे हैं। माधवन ने कहा कि आने वाली सर्दियों में इन हेलीकॉप्टरों की क्षमता और भी बढ़ जाएगी क्योंकि तापमान गिरने से इनका प्रदर्शन और भी बढ़ जाता है।

लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर्स (LCH)

HAL ने हल्के हेलीकॉप्टरों के अलावा दो लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर्स (LCH) भी बनाए हैं, जो लद्दाख में आर्म्ड फोर्सेज के इस्तेमाल में आएंगे। एएलएच हेलीकॉप्टर जहां रशद पहुंचाएंगे तो एलसीएच (LCH) युद्धक अभियानों में भाग लेंगे। एचएएल युद्ध अभियानों में भाग लेने को दो हेलीकॉप्टर सेना को दे चुकी है।

हालांकि, सेना ने कंपनी को अभी इनका ऑर्डर नहीं दिया है। माधवन का कहना है कि सेना ने इनके प्रदर्शन की तारीफ की है। गौरतलब है कि एयरफोर्स ने लद्दाख में अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर्स को भी तैनात कर रखा है। लेकिन, एलसीएच का निर्माण खास तौर से ऊंची चोटियों पर युद्ध लड़ने के लिहाज से ही किया गया है।

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माधवन के अनुसार, “कारगिल युद्ध के समय इसका अभाव खटक रहा था। हमने अनुभव के आधार पर एलसीएच पर काम करना शुरू किया और अब ये आर्मी और एयरफोर्स के लिए महत्वपूर्ण ऐसेट हो गए हैं क्योंकि ये ऊंची चोटियों पर काम आते हैं।”

उन्होंने कहा कि चॉपर दुश्मन के रडार को छलावा देने में बेहद माहिर हैं। इन हल्के युद्धक हेलीकॉप्टरों में पॉड्स लगे हैं जो मिसाइल और रॉकेट्स कैरी कर सकते हैं। हालांकि, युद्ध सामग्रियों के ऑर्डर अब तक नहीं मिले हैं। इसलिए अभी इन हेलीकॉप्टरों में गन पॉड्स ही लगे हैं।

लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर्स (LUH)

लद्दाख में तीसरे तरह के हेलीकॉप्टर का भी ट्रायल हो चुका है। ये लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर्स (LUH) हैं, जिन्हें चीता सीरीज के हेलीकॉप्टरों की जगह लेनी है। ये चॉपर्स रशद पहुंचाने से लेकर घायल सैनिकों को युद्ध स्थल से निकालने तक के विभिन्न अभियानों में काम आएंगे।

एक अधिकारी के मुताबिक, “हमने गर्म जलवायु वाली ऊंची चोटियों पर एलयूएच का ट्रायल किया। यह ट्रायल दो-तीन सप्ताह पहले पूरा हो चुका है। एयरफोर्स के लिए तो यह पिछले साल ही उपयोगी साबित हो चुका था। अब आर्मी ने भी इसे उपयोगी करार दे दिया है।”