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Jammu-Kashmir के किसानों के लिए राहत की खबर, जीरो लाइन पर सरकार कर रही खेती की तैयारी

फाइल फोटो।

पाकिस्तान के किसान अपने खेतों पर जीरो लाइन (Zero Line) तक खेती कर रहे हैं, लेकिन हीरंगर सेक्टर में लगभग 3,500 नहरों की जमीन पाकिस्तान की ओर से की जा रही अंधाधुंध गोलीबारी की वजह से सूखी पड़ी है।

सरकार जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के कठुआ में सीमावर्ती क्षेत्रों में सीमा रेखा (Zero Line) पर खेती करने की तैयारी कर रही है। 18 साल के लंबे अंतराल के बाद यह कदम उठाया जा रहा है। इसके लिए वहां ग्राउंड लेवल पर स्थिति का जायजा लेने के बाद कठुआ के उपायुक्त ओपी भगत, एक सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी, कृषि विभाग के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी और एक सीमा क्षेत्र पंचायत प्रतिनिधि की 14 सितंबर को एक बैठक हुई।

इस बैठक में खेती की तैयारियों, किसानों की जमीन का सीमांकन और लैंडमाइन जैसे विषयों पर चर्चा की गई। बैठक में शामिल अधिकारियों ने एक बंकर वाहन से जीरो लाइन का दौरा भी किया। बता दें कि पाकिस्तान के किसान अपने खेतों पर जीरो लाइन (Zero Line) तक खेती कर रहे हैं, लेकिन हीरंगर सेक्टर में लगभग 3,500 नहरों की जमीन पाकिस्तान की ओर से की जा रही अंधाधुंध गोलीबारी की वजह से सूखी पड़ी है।

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जानकारी के अनुसार, कठुआ के उपायुक्त ओपी भगत ने बैठक के बाद किसानों को आश्वासन दिया कि अक्टूबर के महीने में बाड़ के पार गेहूं की अगली फसल की खेती जीरो लाइन पर की जाएगी। सरकार किसानों को हर संभव मदद करेगी। किसानों को उपकरण, ट्रैक्टर और सीमा सुरक्षा बल द्वारा सुरक्षा की व्यवस्था की जाएगी।

भगत ने किसानों को जीरो लाइन (Zero Line) पर खेती के लिए तैयार रहने के लिए कहा है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर सरकार पूरी भूमि पर बाड़ लगाने के लिए इच्छुक है। यह बीएसएफ को जीरो लाइन पर सतर्कता बनाए रखने में भी मदद करेगा।

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उन्होंने कहा, “हम यहां बोआई की व्यवहार्यता और प्रक्रिया का आकलन करने के लिए आए हैं। किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है और मुझे उम्मीद है कि हम यहां गेहूं की फसल बोने में सफल होंगे। हम किसानों को बुआई और जुताई के लिए यहां लाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे किसानों को फायदा होगा। साथ ही यह बीएसएफ अधिकारियों के लिए लाइन को साफ कर देगा, जिससे उग्रवाद और गोलाबारी में कमी आएगी।”

इस दौरान बीडीसी के चेयरमैन मरीन ब्लॉक करन कुमार और सीमा निवासी अशोक कुमार भी वहां मौजूद थे। 18 साल के लंबे समय के बाद जीरो लाइन (Zero Line) की जमीन पर खेती करने की सरकार की पहल सराहनीय है। दो दशकों से बंजर पड़ी जमीनों की खेती के लिए सरकारी समर्थन मिलने के बाद किसान खुश हैं। यह सीमावर्ती किसानों की मांग भी थी।

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अशोक कुमार ने कहा, “डीसी अन्य अधिकारियों के साथ यहां स्थिति का मूल्यांकन के लिए आए थे। राज्यपाल ने हमें यहां खेती करने का भी निर्देश दिया है, जिसके कई लाभ होंगे। सरकार और बीएसएफ हमारी मदद करने के लिए तैयार हैं। हम इस पहल के लिए सरकार को धन्यवाद देना चाहते हैं।”