जर्मनी में हो रहे म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (Munich Security Conference) में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका को करारा जवाब दिया। अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा कश्मीर के हालात पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, “चिंता मत कीजिए। एक लोकतंत्र (भारत) इसे सुलझा लेगा और आप जानते हैं कि वह देश कौन सा है?”
जर्मनी में हो रहे म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (Munich Security Conference) में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका को करारा जवाब दिया। अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा कश्मीर के हालात पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, “चिंता मत कीजिए। एक लोकतंत्र (भारत) इसे सुलझा लेगा और आप जानते हैं कि वह देश कौन सा है?” दरअसल, अमेरिकी सीनेटर लिंड्से ग्राहम ने कहा था, “कश्मीर से लौटने के बाद यह समझ नहीं पाया कि वहां जारी लॉकडाउन कब खत्म होगा। दोनों देशों (भारत-पाकिस्तान) को यह आश्वस्त करना होगा कि इस मुद्दे को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।” बता दें कि म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (Munich Security Conference) 14 फरवरी को शुरू हुआ है और यह 16 फरवरी तक चलेगा।
संयुक्त राष्ट्र हो गया है कम भरोसेमंद
सम्मेलन (Munich Security Conference) में बोलते हुए एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र अपने इतिहास की तुलना में अब कम भरोसेमंद रह गया है। जब आप इसके बारे में सोचते हैं तो इसकी कम होती विश्वसनीयता आपको आश्चर्यचकित नहीं करती। संस्था में अब वे चीजें नहीं रही, जो वह 75 साल पहले थीं। स्पष्ट है कि इसके बदलाव के लिए बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।”
जो ज्यादा राष्ट्रवादी दिखता है, वह कम बहुपक्षीय होता है
जर्मनी में चल रहे म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (Munich Security Conference) में राष्ट्रवाद पर बोलते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा कि ये कोई सवाल नहीं है कि दुनिया अधिक राष्ट्रवादी हो गई है। उन्होंने यह भी कहा, “ऐसे कई देश हैं, जहां पर राष्ट्रवाद को लेकर ज्यादा मुखरता है। कुछ मामलों में राष्ट्रवाद ज्यादा असुरक्षित है। तथ्य यह है कि जो राष्ट्र ज्यादा राष्ट्रवादी दिखता है, वह कम बहुपक्षीय होता है।’’ राष्ट्रवाद के सवाल पर उन्होंने कहा, “इस पर कोई सवाल ही नहीं उठता है कि दुनिया में राष्ट्रवाद का बोल-बाला है। अमेरिका, चीन समेत दुनिया के कई देशों का इस पर जोर है। जाहिर है कि बड़े स्तर पर राष्ट्रवाद को स्वीकृति मिली है।”
4 अमेरिकी सीनेटरों ने कश्मीर पर मांगी थी रिपोर्ट
ट्रम्प की यात्रा को देखते हुए अमेरिका के चार सीनेटरों क्रिस वैन होलेन, टॉड यंग, रिचर्ड जे डर्बिन और लिंडसे ग्राहम ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता और कश्मीर में मानवाधिकार की स्थितियों पर रिपोर्ट की मांग की थी। सभी सीनेटरों ने 12 फरवरी को विदेश मंत्री माइक पोम्पियो को लिखी चिट्ठी में कहा था, “अभी भी सैंकड़ों कश्मीरी हिरासत में रखे गए हैं। भारत ने कश्मीर में अब तक का सबसे लंबा इंटरनेट शटडाउन लगाया है। राज्य की चिकित्सा सुविधाएं, कारोबार और शिक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। करीब 70 लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं।”
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