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विदेशी राजनयिकों के सामने अनुच्छेद 370 के पीडितों ने बयां किया दर्द

कश्मीर का जायजा लेने आए 15 देशों के राजनयिक (Foreign Envoys) अपने दो दिन के दौरे के दौरान विभिन्न समूहों से मुलाकात करके लौट गए। लेकिन उनके दिलों-दिमाग पर अनुच्छेद 370 और 35ए को लेकर जरूर सवाल उठे होंगे।

Foreign envoys meet locals in Jammu & Kashmir

जम्मू में जिन भी लोगों ने इन विदेशी राजनयिकों (Foreign Envoys) से मुलाकात की उनमें से अधिकतर ने इन विवादित अनुच्छेदों को लेकर जो कष्ट थे उनका खुलासा किया। इस मौके पर वाल्मीकि समुदाय के प्रधान गारू गिल व एक युवती राधिका गिल ने राजनयिकों (Foreign Envoys) से भावनात्मक रूप से कहा कि हटाए गए अनुच्छेद उनके समाज के लिए एक बड़े नासूर से कम नहीं थे। इसका इलाज केंद्र की मौजूदा मोदी सरकार ने ही किया। इन विवादित अनुच्छेदों के कारण चूंकि वह जम्मू–कश्मीर के नागरिक नहीं माने गए इसलिए उनके समाज के पढ़े–लिखे युवाओं को यहां अच्छी सरकारी नौकरी नहीं मिल पाती थी केवल सफाई कर्मचारी का ही काम मिलता था।

राधिका ने राजनयिकों (Foreign Envoys) से कहा कि उनके पूर्वजों को वर्ष 1950 के आसपास तत्कालीन जम्मू–कश्मीर सरकार ने पंजाब से लाकर यहां जम्मू में बसाया था। तब यह भी वादा किया गया था की उन्हें सूबे की नागरिकता भी दी जाएगी। लेकिन तब से लेकर आज तक किसी भी सरकार ने उनकी नागरिकता संबंधी समस्या का कोई समाधान नहीं किया। यही वजह रही कि वाल्मीकि समुदाय के पढ़े-लिखे युवाओं को यहां सरकारी नौकरी नहीं मिली। उनको केवल सफाई कर्मचारी का ही काम रहा। लेकिन मोदी सरकार आने के बाद अब हमने उस गुलामी के जीवन से निजात मिली है। अब हम यहां के स्थानीय चुनाव‚ सरकारी नौकरियों से लेकर जमीन खरीदने के हकदार बने हैं।

इसी प्रकार पश्चिमी पाकिस्तान से बंटवारे के वक्त यहां आकर बस गए शरणार्थियों ने भी अपनी अनंत पीड़ा को बयान किया। पाकिस्तान के सियालकोट से आए इन शरणार्थियों के प्रधान लब्बाराम गांधी ने जब राजनयिकों (Foreign Envoys) से कहा कि उन्हें भी उन्हीं मुसीबतों से गुजरना पड़ा जो सात दशक बीत चुकने के बावजूद जम्मू कश्मीर की नागरिकता नहीं मिल पाई। गांधी ने कहा कि उनके समाज के लाखों लोग इस प्रकार मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन का शिकार होते रहे। इस पर एक राजनयिक (Foreign Envoys) ने गांधी से सवाल किया कि आपने इन हालातों का कभी कोई विरोध किया तो गांधी ने कहा कि उन्होंने नागरिकता अधिकार के लिए सैकड़ों बार प्रदर्शन व आंदोलन किए। लेकिन गुलामी की दास्तां से उन्हें भी अब मोदी सरकार ने ही इन विवादित धाराओं को खत्म करके मुक्ति दिलवाई है। लब्बाराम गांधी ने इस बात का भी खुलासा किया कि अब उनके समाज के लोगों के स्टेट सब्जेक्ट बनने शुरू हो गए हैं।

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दिलचस्प बात यह है कि गत दिवस विदेशी राजनयिकों (Foreign Envoys) से जम्मू के रेडि़सन ब्लू होटल में सिविल सोसायटी के कई प्रतिनिधिमंड़ल में‚ जिनमें जम्मू–कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रधान अभिनव शर्मा भी थे। उन्होंने ने भी विवादित अनुच्छेदों को खत्म किए जाने के मोदी सरकार के ऐतिहासिक कदम का स्वागत किया। परंतु उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए।