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लॉकडाउन में यदि कर्मचारियों को निकाला तो पीएम मोदी लेंगे उन कंपनियों की क्लास

यह प्रधानमंत्री के संज्ञान में लाया गया है कि लॉकडाउन (Lockdown) में कर्मियों को जबरिया नौकरी से रिटायर किया जा रहा है अथवा उन्हें बिना वेतन के नौकरी में बने रहने का विकल्प दिया जा रहा है। उनको आग्रह किया गया कि लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से काम से गैरहाजरी को सवैतनिक अवकाश मानने की सरकार की एडवाइजरी का निजी क्षेत्र पर असर नहीं हो रहा है‚ लिहाजा उपलब्ध कानूनों के तहत कार्यकारी आदेश केंद्र और राज्यों के स्तर पर जारी किए जायें।

आरएसएस के श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है। सरकार बीएमएस के साथ कोरोना (Coronavirus) प्रभाव की वजह से श्रमिकों के रोजगार पर पड़ने वाले असर के बारे में लगातार विमर्श भी कर रही है।

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बीएमएस ने प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में तत्काल उठाए जाने वाले कई उपाय सुझाए हैं। इसमें कर्ज पर ब्याज की किश्त एक साल के लिए स्थगित करने के साथ–साथ सभी तरह की पेंशन का भुगतान समय से किए जाने की बात भी शामिल है।

बीएमएस के अनुसार श्रमिकों के लिए यह महामारी बहुत बड़ा संकट लेकर आई है‚ ऐसे में केंद्र और राज्यों की सरकारों को उनकी अविलंब आÌथक मदद करनी चाहिए।

केंद्र से आग्रह किया गया है कि 21 दिन के लॉकडाउन (Lockdown) में भोजन की जरूरतें पूरी करने के लिए प्रत्येक श्रमिक के खाते में 5 हजार रुपए की मदद तत्काल दी जाए। लंबी अवधि के लॉकडाउन (Lockdown) के मद्देनगर राशन की आपूर्ति बनाए रखने की खातिर सभी राज्यों को राशन ऑन व्हील (मोबाइल राशन सप्लाई) योजना शुरू करने के लिए कहा जाए।

वहीं मुख्यमंत्रियों को लिखे गए पत्र में श्रमिकों के खाते में धन डालने वाली योजना लाने के लिए कहा गया है।

मुख्यमंत्रियों को कहा गया है कि कोरोना (Coronavirus) प्रभाव की वजह से श्रमिकों के रोजगार का भविष्य अनिश्चित है‚ इसलिए उन्हें कारखानों और इकाइयों से न निकाला जाए और लॉकडाउन (Lockdown) में पूरा वेतन दिया जाए इसको लेकर उचित आदेश जारी किए जाएं और इनका पालन भी कराया जाए।