Hindi News (हिंदी समाचार), News in Hindi, Latest News In Hindi

Delhi Protest: अभिनंदन की तरह मूंछ और बुखार में भी ड्यूटी का जुनून, हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल को भीड़ ने क्यों मारा?

Delhi Protest: दिल्ली में सीएए को लेकर तीन दिनों तक जबरदस्त हिंसा होती रही और कई जानें इस हिंसा की बलि चढ़ गईं। इस हिंसा को शांत करने की ड्यूटी पूरी शिद्दत से निभा रहे दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की मौत ने सबको झकझोर दिया है। सबके दिल में एक यही सवाल है कि आखिर रतनलाल का क्या कसूर था? वो तो अपना फर्ज निभा रहे थे।

दिल्ली में हुई हिंसा में गोली लगने से दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की मौत हो गई।

बीते सोमवार को हुई हिंसा में गोली लगने से दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की मौत हो गई। मूल रूप से राजस्थान के सीकर में गांव तिहावली के रहने वाले 42 साल के रतनलाल अपने परिवार में कमाने वाले इकलौते सदस्य थे। वे पत्नी और तीन बच्चों के साथ दिल्ली के बुराड़ी में रहते थे। जिस वक्त रतनलाल जख्मी हुए उनके परिजनों को यह खबर टीवी से ही मिली थी।

बुराड़ी के अमृत विहार की गली नंबर 8 में पत्नी पूनम, दो बेटियों सिद्धि (13), कनक(10) और बेटे राम (5) के साथ रहते थे। पूनम गृहिणी हैं। सिद्धि 7वीं, कनक 5वीं और राम पहली कक्षा में पढ़ते हैं। तीनों बच्चे एनपीएल स्थित दिल्ली पुलिस पब्लिक स्कूल में हैं। रतनलाल के छोटे भाई दिनेश गांव में रहते हैं और एक भाई मनोज बंगलुरू में नौकरी करते हैं।

पढ़ें: लेवी वसूल TPC नक्सली बन गए हैं करोड़पति, NIA ने कसा शिकंजा

रतनलाल साल 1998 में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) में सिपाही में भर्ती हुए थे। रतनलाल को जानने वाले बताते हैं कि वह शांतिप्रिय व्यक्ति थे और हिंसा तथा विवादों से काफी दूर रहते थे। रतनलाल के भाई बताते हैं कि वह काफी सरल स्वभाव के थे और कभी किसी के साथ बुरा बर्ताव नहीं करते थे।

रतनलाल भारतीय वायुसेना के जाबांज अभिनंदन से काफी प्रभावित थे और उन्हीं की तरह मूंछें भी रखते थे। ड्यूटी के लिए उनका जुनून किस कदर था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सोमवार को बुखार से वो तप रहे थे फिर भी वर्दी पहने हिंसा पर उतारू भीड़ के सामने बहादुरी से खड़े थे।

दिल्ली हिंसा में रतनलाल की मौत के बाद इस बात को लेकर भी विवाद हुआ था कि उन्हें गोली लगी थी या पत्थर? दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के इस वीर सिपाही के शव का पोस्टमार्टम गुरु तेग बहादुर (GTB) अस्पताल में हुआ। उनकी ऑटोप्सी रिपोर्ट में ये सामने आया कि उनके शरीर में एक गोली फंसी हुई थी।

उनके बाएं कंधे में गोली लगी थी जो उनके दाएं कंधे की तरफ चली गई थी। गोली दाहिने कंधे से निकाली गई। रतन लाल एक जांबाज और जिंदादिल पुलिसकर्मी थे। वह युवाओं को फौज या आर्मी में जाने के लिए प्रेरित किया करते थे।