नक्सल प्रभावित राज्यों में सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती नक्सलियों का सूचना तंत्र है। उनके सूचना तंत्र को ध्वस्त करने के लिए तीन युवाओं ने इंटरसेप्टर रेंज फाइंडर (सर्विलांस तकनीकि) तैयार किया है। खास बात यह है कि युवाओं के स्टार्टअप मेकर से तैयार सर्विलांस तकनीक का सीआरपीएफ उपयोग कर रही है और यह सफल भी हो रहा है। इस तकनीक से सीआरपीएफ (CRPF) के जवान जंगल में मौजूद मोबाइल और वायरलेस सेट को आसानी से ट्रैक कर नक्सली गतिविधियों को रोकने में सफल हो रहे हैं। तीन युवाओं की टीम में अजय साहू, समता साहू और गिरवर साहू थे। उन्होंने इस सर्विलांस सिस्टम को तैयार करने के लिए चार वर्ष मेहनत कर यह कामयाबी हासिल की। टीम के सदस्य अजय साहू के अनुसार, इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद रोबोटिक्स में लगातार काम किया।
इसी बीच इनक्यूवेटर एसीआइ 36 इंक के जरिए सीआरपीएफ के अधिकारियों से उनकी मुलाकात हुई। उन्होंने नक्सलियों की गतिविधियों को रोकने में आ रही चुनौतियों के बारे में बताया। अधिकारियों ने बताया कि जंगल में नक्सलियों की गतिविधियों को जांचने के लिए सर्विलांस सिस्टम को हाथों में लेकर घूमना होता है। ऐसे में न ही रेंज पकड़ में आती है न ही चारों दिशाओं में सर्विलांस सिस्टम काम कर पाता है। ऐसी परिस्थिति में नक्सली अपनी गतिविधियों को अंजाम देकर निकल जाते हैं। इसलिए नक्सलियों की गतिविधियों को रोकने लिए इन युवाओं ने नए तरह का इंटरसप्टर रेंट फाइंडर (सर्विलांस सिस्टम) तैयार किया। इसकी खासियत है कि यह सीआरपीएफ के कैंप से ही कार्य करता है।
वहां लगे 32 फिट ऊंचे टावर में 360 डिग्री घूम कर आसानी से नक्सलियों के मोबाइल लोकेशन और वाइलेस सेट की जानकारी देता है। जिससे मौके पर पहुंच कर सीआरपीएफ की टीम आसानी से नक्सलियों की रणनीति को फेल कर सकती है। इसके सफल परीक्षण के बाद सीआरपीएफ झारखंड और छत्तीसगढ़ ने उपकरण का आर्डर दिया है। इंटरसेप्टर रेंज फाइंडर (सर्विलांस तकनीक) की खासियत है कि यह 360 डिग्री घड़ी की दिशा में और विपरीत दिशा में घूमता है। ऐसे में चारों ही दिशाओं में उपकरण की पैनी नजर होती है। यह डिवाइस नक्सलियों की गतिविधियों को रोकने में कारगर साबित होगा।
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