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पुलिस के इस जवान को सलाम, ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए 450 किमी पैदल ही चल पड़ा

कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण इस समय पूरी दुनिया में लॉकडाउन जैसी स्थिति है। रोज हजारों की संख्या में लोग मर रहे हैं और लाखों की तादात में लोग बीमार पड़ रहे हैं। ऐसे में सभी देशों की सरकारें अपने नागरिकों को घर में ही रहने की सलाह दे रही है। भारत में भी प्रधानमंत्री मोदी ने इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए एक तरह से 22 मार्च से ही पूरे देश में लॉकडाउन लगा रखा है। साथ ही सभी सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को बंद करने के निर्देश दिये हैं। इस दौरान सभी को घर से काम करने की सलाह दी गई है और जान बचाने के लिए घरों में ही रहने का निवेदन किया है। लोग अपनी-अपनी जान बचाने के लिए घरों में रहना उचित मान रहे हैं। 

Madhya Pradesh Constable Digvijay Sharma walked for nearly 20 hours without food to join duty, in the middle of the nationwide coronavirus lockdown. II Photo Credit:- inquest.org.in

लेकिन विपत्ति की इस घड़ी में भारत मां का एक सपूत ऐसा भी है जिसे उसके अधिकारियों ने घर में रहने की सलाह दी, परिवारवालों ने भी घर से ना निकलने की जिद की, लेकिन देश सेवा में समर्पित पुलिस का ये जवान घर से कार्यस्थल के लिए 450 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए पैदल ही निकल पड़ा।

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कोरोना वायरस (Coronavirus) का प्रसार रोकने के लिए जारी देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) के बीच मध्यप्रदेश के एक पुलिस कांस्टेबल ने अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए उत्तर प्रदेश के अपने गृह जिला इटावा से मध्य प्रदेश के राजगढ़ तक करीब 450 किलोमीटर की यात्रा की। इस दौरान कभी वह पैदल चला‚ तो कभी लोगों से मोटरसाइकिल पर लिफ्ट ली।

22 वर्षीय कांस्टेबल दिग्विजय शर्मा ने बताया कि वो इटावा में अपनी स्नातक की परीक्षा (बैचलर ऑफ आर्ट्स) देने के लिए 16 मार्च से 23 मार्च तक छुट्टी पर था जो बंद होने के कारण स्थगित हो गई।

उन्होंने आगे कहा कि मैंने अपने अधिकारी एवं पुलिस स्टेशन पचौर के प्रभारी निरीक्षक से फोन पर संपर्क किया और उनसे कहा कि मैं इस मुसीबत के समय में अपनी ड्यूटी में शामिल होना चाहता हूं।

उन्होंने परिवहन सुविधा उपलब्ध न होने के कारण मुझे घर में रहने की सलाह दी। मेरे परिवार ने भी यही सलाह दी‚ लेकिन मैं खुद को नहीं रोक सका।

उन्होंने कहा कि मैंने 25 मार्च की सुबह इटावा से पैदल ही राजगढ़ की यात्रा शुरू की। मैं इस दौरान करीब 20 घंटे तक चला जिसमें मैंने मोटरसाइकिल पर सवार लोगों से लिफ्ट भी ली और 28 मार्च की रात राजगढ़ पहुंच गया। उन्होंने कहा कि मेरी इस यात्रा के दौरान सामाजिक संगठनों ने मुझे भोजन प्रदान किया।