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रिपोर्ट में खुलासा: चीन ने कोरोना के पहले केस के बारे में दुनिया से बोला झूठ, वुहान लैब के 3 कर्मियों के संक्रमण की बात WHO से छुपाई

China's researchers falling sick at Wuhan lab before 8 December.

दुनियाभर में हाहाकार मचाने वाले कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर एक और नया खुलासा हुआ है और इसी के साथ यह बात धीरे-धीरे सच साबित होती जा रही है कि कोविड-19 वायरस चीन का बनाया हुआ खतरनाक हथियार है।

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पुराने अमेरिकी खुफिया दस्तावेज के हवाले से एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को बताया था कि उसके वहां कोरोना का पहला केस 8 दिसंबर 2019 को मिला था। जबकि सच्चाई ये है कि वायरस (Coronavirus) के संक्रमण का मामला इसके एक महीने पहले ही पाया गया था।

दरअसल नवम्बर 2019 में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (Wuhan Institute of Virology) के तीन रिसर्चर्स को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस जानकारी के सामने आने के बाद एक बार फिर इस बात की व्यापक जांच के लिए दबाव बढ़ सकता है‚ जिसमें यह आशंका जतायी गई थी कि कोरोना वायरस (Coronavirus) चीन की प्रमुख प्रयोगशाला से ही फैला है।

‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल‘ की रिपोर्ट के मुताबिक‚  पूर्व अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप में कोविड-19 को ‘चीनी वायरस’ बताते हुये एक रिपोर्ट जारी किया था।  इस रिपोर्ट में कहा गया था कि कोरोना वायरस (Coronavirus) व अन्य बीमारी फैलाने वाले वायरसों की शोध करने वाली वुहान लैब (Wuhan Institute of Virology) के कई रिसर्चर्स 2019 के आखिरी महीनों में बीमार पड़े थे और उनमें कोविड–19 बीमारी और सामान्य मौसमी बीमारी जैसे लक्षण थे।

कोरोना वायरस (Coronavirus) की उत्पत्ति लंबे समय से चर्चा का विषय रही है क्योंकि कई वैज्ञानिक और राजनेता लगातार यह आशंका जताते रहे हैं कि यह घातक वायरस किसी प्रयोगशाला से ही लीक हुआ है। मध्य चीनी शहर वुहान में स्थित हुनान समुद्री भोजन बाजार को कोविड–19 प्रकोप का केंद्र माना जाता है जोकि वुहान लैब के बेहद नजदीक है।