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चीन ने चली एक और चाल, बढ़ सकती है भारत की परेशानी

फाइल फोटो।

साल 2008 में भारत और चीन ने एक समझौता किया था कि सतलुज और ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra River) के पानी के बहाव को आपसी सहमति से ही उपयोग किया जाएगा।

चीन (China) अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा। वह आए दिन भारत के लिए मुश्किल पैदा करने की फिराक में रहता है। लद्दाख के बाद अब चीन की नजर अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) पर है। ड्रैगन अरुणाचल सीमा के पास एयरबेस और रेल लाइन बिछाने के साथ अब एक नया बांध बनाने जा रहा है।

यह बांध यारलुंग त्सांग्पो नदी पर बनाया जाएगा, जिसे भारत (India) में ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है। चीन की इस चाल से भारत को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि 2900 किलोमीटर लंबी ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra River) का बड़ा हिस्सा और उसकी डाउनस्ट्रीम भारत में आती है। चीन जब चाहे पानी के बहाव को नियंत्रित कर सकता है।

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इस बांध के बन जाने के बाद भारत, बांग्लादेश समेत कई पड़ोसी देशों को सूखे और बाढ़ दोनों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि चीन जब मन करेगा बांध का पानी रोक देगा। जब मन करेगा तब बांध के दरवाजे खोल देगा। इससे पानी का बहाव तेजी से भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की तरफ आएगा। अरुणाचल प्रदेश, असम समेत कई राज्यों में बाढ़ आ सकती है।

हालांकि, चीन (China) ने कहा कि वह अपने पड़ोसी देशों के हितों का ध्यान रखते हुए ही कोई काम करेगा। पर चीन की चालबाजी से दुनिया वाकिफ है। जानकारी के मुताबिक, चीन इस बांध का निर्माण अगले साल से शुरू होने वाली 14वीं पंचवर्षीय योजना के तहत तिब्बत में करेगा।

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चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, इस बांध के निर्माण का काम पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना को दिया गया है। इसके अध्यक्ष यांग जियोंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि हम यारलंग जांग्बो यानी ब्रह्मपुत्र नदी के निचले हिस्से में हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहे हैं। यांग जियोंग ने कहा कि चीन की सरकार ने देश की 14वीं पंचवर्षीय योजना तैयार करने के प्रस्तावों में इस प्रोजेक्ट को भी शामिल किया है। इस प्रोजेक्ट को साल 2035 तक पूरा किया जाएगा।

हालांकि, अभी तक इस प्रोजेक्ट के बारे में चीन की सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। लेकिन यह माना जा रहा है कि अगले साल तक चीन की सरकार इस योजना की आधिकारिक घोषणा कर देगी। बता दें कि साल 2008 में भारत और चीन ने एक समझौता किया था कि सतलुज और ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra River) के पानी के बहाव को आपसी सहमति से ही उपयोग किया जाएगा। इन दोनों नदियों के पानी के बंटवारे, बहाव और बाढ़ से संबंधित प्रबंधन को मिलकर करेंगे। 

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लेकिन साल 2017 में डोकलाम विवाद के बाद चीन (China) ने ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra River) के हाइड्रोलॉजिकल डेटा को भारत से शेयर नहीं किया था। ब्रह्मपुत्र नदी के हाइड्रोलॉजिकल डेटा को शेयर न करने की वजह से उस साल असम में भयानक बाढ़ आ गई थी।