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Chhattisgarh: नक्सलियों के आतंक पर लगाम लगाने मैदान में उतरी पुलिस, बनाया ये प्लान

सांकेतिक तस्वीर।

बीजापुर और सुकमा जिलों में लगातार हो रही हत्याओं और नक्सलियों (Naxals) के बढ़ते उत्पात को लेकर नक्सल मोर्चे पर तैनात पुलिस महकमा हरकत में आ गया है।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के धुर नक्सल ग्रस्त बस्तर (Bastar) में लाल आतंक (Naxalism) पर लगाम लगाने के लिए सुरक्षाबल मैदान में आ गए हैं। दरअसल, पिछले कुछ दिनों से नक्सली (Naxals) लगभग हर रोज हत्याएं कर रहे थे। नक्सलियों की इन काली करतूतों के पीछे वजह यह थी कि पुलिस प्रशासन नक्सलियों पर लगाम लगाने के लिए जोर से अभियान चला रही है और नक्सली इससे बौखलाए हुए हैं।

बौखलाहट में नक्सलियों ने बीते कुछ दिनों में यहां कई ग्रामीणों की हत्या कर दी है। नक्सलियों की हिमाकत को देखते हुए पुलिस ने आक्रामक रुख अपना लिया है। पुलिस के अफसर दफ्तर छोड़ जंगलों तक पहुंचने लगे हैं। नतीजा यह हुआ है कि नक्सली (Naxalites) मांद में घुस गए हैं।

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बीजापुर और सुकमा जिलों में लगातार हो रही हत्याओं और नक्सलियों (Naxals) के बढ़ते उत्पात को लेकर नक्सल मोर्चे पर तैनात पुलिस महकमा हरकत में आ गया है। 24 सितंबर को बस्तर आइजी सुंदरराज पी बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों तक पहुंचे। वहीं, 25 सितंबर को नक्सल डीजी अशोक जुनेजा खुद यहां आए और धुर नक्सल प्रभावित पामेड़ जाकर जवानों और ग्रामीणों से बात की।

नक्सल डीजी अशोक जुनेजा के साथ बस्तर आइजी सुंदरराज पी, आइजी सीआरपीएफ प्रकाश बीजापुर पहुंचे। वहां एसपी कमलोचन कश्यप, सीआरपीएफ डीआईजी कोमल सिंह और अन्य अफसरों के साथ बैठक कर नक्सल विरोधी अभियान (Anti Naxal Operation) को और आक्रामक बनाने के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

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डीजी ने डीआरजी, एसटीएफ, सीआरपीएफ और कोबरा के जवानों से रूबरू मुलाकात की। जुनेजा ने आइजी और बीजापुर एसपी के साथ तेलंगाना की सीमा पर स्थित अति संवेदनशील पामेड़ थाने का भ्रमण किया। पामेड़ में भी डीजी सभी जवानों और अधिकारियों से रूबरू हुए। उन्होंने स्थानीय ग्रामीणों से भी बात की।

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बीजापुर में आयोजित बैठक में जुनेजा ने अंदरूनी गांवों और सीमावर्ती इलाकों में नक्सल विरोधी अभियान के संबंध में जानकारी ली और आवश्यक दिशा निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित इलाकों के सभी थाना भवनों, चौकी, कैंपों को विकसित किया जाएगा। फोर्स की मौजूदगी का फायदा ग्रामीणों को और स्थानीय विकास के कामों में भी मिलना चाहिए।