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सेना प्रमुख ने NRC-CAA पर विपक्षी पार्टियों के विरोध और हिंसा की कड़ी निंदा की

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि नेता हमारे शहरों में आगजनी और हिंसा के लिए विश्वविद्यालयों व कॉलेज के छात्रों सहित जनता को उकसाते हैं, तो यह नेतृत्व नहीं है।

सेना प्रमुख (Bipin Rawat) ने यहां एक स्वास्थ्य सम्मेलन में आयोजित सभा में कहा कि नेता जनता के बीच से उभरते हैं, नेता ऐसे नहीं होते जो भीड़ को ‘‘अनुचित दिशा’ में ले जाएं। रावत ने अपने भाषण में कहा, ‘नेतृत्व यदि सिर्फ लोगों की अगुवाई करने के बारे में है, तो फिर इसमें जटिलता क्या है। क्योंकि जब आप आगे बढ़ते हैं, तो सभी आपका अनुसरण करते हैं। यह इतना सरल नहीं है। यह सरल भले ही लगता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है।’

उन्होंने (Bipin Rawat) कहा, ‘आप भीड़ के बीच किसी नेता को उभरता हुआ पा सकते हैं। लेकिन नेतृत्व वह होता है, जो लोगों को सही दिशा में ले जाए। नेता वे नहीं हैं, जो अनुचित दिशाओं में लोगों का नेतृत्व करते हैं।’’ इस समय चल रहे विश्वविद्यालयों और कॉलेज छात्रों के विरोध प्रदर्शनों का हवाला देते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि जिस तरह शहरों और कस्बों में भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया जा रहा है, वह नेतृत्व नहीं है।

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सीपीआई ने रावत को दी हिदायत

मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) को लेकर छात्रों द्वारा किए जा रहे विरोध की आलोचना करने संबंधी सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) के बयान की निंदा करते हुए कहा कि जनरल रावत ने अपनी वैधानिक सीमा से बाहर जाकर ऐसा बयान दिया है।

सीपीआई पोलित ब्यूरो ने कहा, ‘‘जनरल रावत (Bipin Rawat) के इस बयान से स्पष्ट हो जाता है कि मोदी सरकार की स्थिति में कितनी गिरावट आ गई है, जो बताती है कि सेना के शीर्ष पद पर आसीन व्यक्ति अपनी संस्थागत भूमिका की सीमाओं को किस प्रकार से लांघता है।’ 

पार्टी ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या हम सेना का राजनीतिकरण कर पाकिस्तान के रास्ते पर नहीं जा रहे हैं? लोकतांत्रिक आंदोलन के बारे में इससे पहले सेना के किसी शीर्ष अधिकारी द्वारा दिए गए ऐसे बयान का उदाहरण आजाद भारत के इतिहास में नहीं मिलता है।’’