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Bihar: नक्सलवाद पर लगाम लगाने के लिए पुलिस विभाग ने उठाया यह कदम, नक्सलियों की अब खैर नहीं

बिहार (Bihar) में थानों को अब कैटेगरी में बांटा जाएगा। पुलिस मुख्यालय ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है। बिहार के सभी थानों को चार कैटेगरी में बांटा जाएगा। ये कैटेगरी ‘A’ से लेकर ‘D’ तक होगी।

बिहार (Bihar) में थानों को कई पैमानों पर परखने के बाद अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जाएगा। पुलिस मुख्यालय थानों को जिन चार कैटेगरी में बांटने पर काम कर रहा है, वे अतिसंवेदनशील से लेकर सामान्य तक के बीच में हैं। थानों को अतिसंवेदनशील, संवेदनशील, नक्सल और सामान्य कैटेगरी में रखा जाएगा। कौन सा थाना किस कैटेगरी में पड़ेगा, इसका फॉर्मूला बना लिया गया है। अपराध समेत कई बिंदुओं पर इसकी जांच-पड़ताल की जाएगी। थानों की भौगोलिक स्थिति का भी ख्याल रखा जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक, कानून-व्यवस्था के हालात, अपराध की स्थिति, नक्सल या नॉन नक्सल और सांप्रदायिक घटनाओं को इसका आधार बनाया गया है।

यह भी देखा जाएगा कि कहां इस तरह की घटनाएं ज्यादा होती हैं। यदि किसी थाने में अक्सर कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होती है और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं भी तो उसे अतिसंवेदनशील थाने की कैटेगरी में रखा जाएगा। ज्यादा अपराध वाले क्षेत्र भी अतिसंवेदनशील या संवेदनशील की श्रेणी में आएंगे। वहीं ऐसे थाना क्षेत्र जहां नक्सल गतिविधियां हैं, उन्हें नक्सल कैटेगरी में शामिल किया जाएगा। वैसे थाना जहां अपराध और बाकी घटनाएं कम होती हैं, उनकी श्रेणी सामान्य की होगी। थानों को चार कैटेगरी में बांटे जाने के दौरान यह भी देखा जाएगा कि उसका इलाका शहरी क्षेत्र में पड़ता है या ग्रामीण।

बिहार (Bihar) में बहुत सारे थाना ऐसे भी हैं जो अर्धशहरी क्षेत्र में आते हैं। वहीं कई थाना ऐसे हैं जिनका इलाका शहर और ग्रामीण दोनों में पड़ता है। थानों को चार कैटेगरी में बांटने का मकसद जरूरत के मुताबिक पुलिस बल उपलब्ध कराना है। यदि नक्सल और आपराधिक लिहाज से कोई थाना अतिसंवेदनशील है तो वहां हथियारबंद जवान अधिक होंगे। इसी तरह कानून-व्यवस्था की समस्या जहां ज्यादा होती है, वहां भीड़ से निपटने के ख्याल से लाठी पार्टी ज्यादा रखी जाएंगी। थानों की परिस्थिति के मुताबिक वहां पुलिस बल का बेहतर प्रबंधन किया जाएगा। इस तरह के कदम से नक्सलवाद पर और भी बेहतर तरीके से शिकंजा कसा जा सकेगा।

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