अरुण जेटली मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्तमंत्री रहे। वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले किए। नोटबंदी, जीएसटी, डिजिटल ट्रांजेक्शन, एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा में कई बैंकों का विलय ये सब ऐतिहासिक फैसले थे। इन फैसलों के लिए ना सिर्फ स्पष्ट नीति की जरुरत थी बल्कि दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यक थी।
जेटली का शनिवार दोपहर 12 बज कर 7 मिनट पर दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। सांस लेने में परेशानी के चलते उन्हें 9 अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया था। जहां सीनियर डॉक्टरों की देख-रेख में उनका इलाज चल रहा था। स्वास्थ्य कारणों के चलते वह पिछले कुछ वक्त से राजनीति से दूर थे। लेकिन तब भी वो गाहे बगाहे किसी प्रमुख मुद्दे पर अपनी राय को सोशल मीडिया के द्वारा रखने से पीछे नहीं हटते थे।
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8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने चलन में मौजूद 500 और एक हजार रुपये के नोट को बंद कर दिया था। सरकार के इस अभूतपूर्व कदम की जानकारी पीएम के अलावा केवल जेटली और कुछ चुनिंदा लोगों को ही थी। नोटबंदी करने का फैसला लेने में जेटली की अहम भूमिका रही थी। 500 और 1000 रुपये के नोटों के बंद होने के दस दिन बाद वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के इस फैसले की वजह से अब बैंक सस्ते दर पर कर्ज दे सकेंगे। साथ ही समानांतर अर्थव्यवस्था से मुक्ति मिलेगी। एक कार्यक्रम में शिरकत करने के दौरान जेटली ने कहा कि जहां तक फैसले को लागू करने की बात है तो उन्हें नहीं लगता कि मौजूदा व्यवस्था से बेहतर कुछ और किया जा सकता था।
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नोटबंदी के बाद देश भर में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ाने का श्रेय भी जेटली को जाता है। डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट, पीओएस मशीन, यूपीआई भीम ऐप जैसी सेवाओं को पूरे देश में शुरू करवाया गया था। इसके चलते नगद ट्रांजेक्शन में काफी कमी देखने को मिली और अब लोग इनका अधिक संख्या में प्रयोग करने लगे हैं।
वहीं, एक जुलाई 2017 को आधी रात से देश भर में जीएसटी लागू हो गया था। इस दिन से देश भर में चल रहे 17 टैक्स और 26 सेस खत्म हो गए थे। जीएसटी काउंसिल ने देश भर में पांच स्लैब लगाए थे, जिनके हिसाब से ही लोगों को टैक्स देना शुरू किया था। केवल पेट्रोल-डीजल, तंबाकू उत्पाद, शराब, रसोई गैस सिलेंडर जैसी वस्तुओं को छोड़कर के बाकी सभी को इसके दायरे में लाया गया था।
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