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MBA किया और 40 लेख भी लिख चुके हैं, जानिए कौन हैं CRPF की कमान संभालने वाले IPS माहेश्वरी

आईपीएस अधिकारी आनंद प्रकाश माहेश्वरी ने 15 जनवरी को दुनिया की सबसे बड़ी पैरामिलिट्री फोर्स केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के नए महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल) के तौर पर जिम्मेदारी संभाल ली है। 13 जनवरी को आईपीएस आनंद प्रकाश को सीआरपीएफ का अगला डीजी नियुक्त किया गया था।

आईपीएस अधिकारी आनंद प्रकाश माहेश्वरी बने CRPF के नए डायरेक्टर जनरल।

आईपीएस अधिकारी आनंद प्रकाश माहेश्वरी ने आईटीबीपी (ITBP) के महानिदेशक एस एस देशवाल से पदभार ग्रहण किया, जिन्हें सीआरपीएफ की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, माहेश्वरी को लोधी रोड स्थित सीजीओ कॉम्प्लेक्स में सीआरपीएफ के मुख्यालय में सीआरपीएफ (CRPF) की कमान सौंपी गई। वह अगले वर्ष फरवरी में सेवानिवृत्त होंगे। अधिकारी ने बताया कि बल के नए प्रमुख को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। बता दें कि आईपीएस आनंद प्रकाश अगले साल फरवरी में सेवानिवृत्त होंगे। उनका कार्यकाल 28 फरवरी, 2021 तक होगा। गौरतलब है कि सीआरपीएफ (CRPF) के पूर्व डीजी आर आर भटनागर 31 दिसंबर को रिटायर हो गए थे, जिसके बाद माहेश्वरी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई।

नक्सल प्रभावित इलाकों में काम करने का रहा है अनुभव

आईपीएस माहेश्वरी अब तक गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) के रूप में कार्यरत थे। माहेश्वरी इससे पहले सीआरपीएफ (CRPF) में महानिरीक्षक (आईजी) और डिप्टी आईजी के रूप में काम कर चुके हैं। उन्होंने ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (BPRD) का भी नेतृत्व किया है और सीमा सुरक्षा बल में अतिरिक्त महानिदेशक के रूप में भी कार्य किया है। इसके अलावा उन्होंने नॉर्थ-ईस्ट, कश्मीर, नक्सल प्रभावित राज्यों और सीमा सुरक्षा से जुड़े क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

MBA भी कर चुके हैं माहेश्वरी

आनंद प्रकाश माहेश्वरी भारतीय पुलिस सेवा के 1984 बैच के अधिकारी हैं। राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले माहेश्वरी की स्कूली शिक्षा अजमेर, कोटा और जयपुर में हुई। दिल्ली के श्रीराम कॉलेज से स्नातक डिग्री लेने के बाद उन्होंने आर.ए. पोद्दार इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से एमबीए में डिग्री हासिल की। इसके बाद वे पुलिस सेवा में आए। पुलिस सेवा में आने के बाद ‘सांप्रदायिक दंगों के प्रबंधन’ विषय पर शोध करते हुए उन्हेंने अपनी पी.एच.डी. की।

40 से अधिक लेख हो चुके हैं प्रकाशित

रचनात्मक लेखन में माहेश्वरी एक स्थान रखते हैं। वे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखते हैं। साम्प्रदायिकता जैसे संवेदनशील विषय पर माहेश्वरी की पहली पुस्तक ‘कम्यूनलिज्म हैडल्ड विद ए डिफरेंस’ प्रकाशित हो चुकी है। इसके बाद उनकी ‘बीसवीं सदी की बीस कहानियां’ पुस्तक भी खासी चर्चित हुई। वे काव्य में भी खास रूचि रखते हैं। ‘कुछ पल विषाद के कुछ पल आनन्द के’ माहेश्वरी का पहला काव्य संग्रह है। अभी तक उनकी नौ पुस्तकें और चालीस से अधिक लेख प्रकाशित हुए हैं। अति विशिष्ट सेवाओं हेतु उन्हें राष्ट्रपति पदक, वीरता एवं कठिन सेवाओं हेतु अनेक पुलिस पदकों से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा उन्हें ‘गोविंद बल्लभ पंत’ पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। वे समाज-सेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं और कई समाजसेवी संगठनों से जुड़े हैं।

यहां पेश है उनकी एक कविता-

”जिन गीतों से सार न उपजे”

जिस डाली पर नीड़ बने ना
उस पर जा कर रहना कैसा
जिन राहों पर मंज़िल ना हो
उन पर चलना-चलना कैसा

जो डग सागर को ना जाए
उस पथ पर बहती क्यों नदिया
जो धारा तट तक ना जाए
उससे क्यों टकराती नैया

जिन पुष्पों में रंग न उभरें
उनका खिलना है क्या खिलना
जिनको जीवन मर्म न दरसे
उनका जीना भी क्या जीना

जो पयोद बे-मौसम बरसे
उसमें नाच नाचना कैसा
जिन बोलों से भरम न टूटे
उनको रटना-रटना कैसा

जिन तारों से वाद्य न फूटें
उनको कसना-कसना कैसा
जिन गीतों से सार न उपजे
उनको गाना, गाना कैसा…

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