पूर्वी लद्दाख में साल 2020 के शुरुआत में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LaC) पर गतिरोध के दौरान अमेरिका (America) ने कुछ सूचना, बर्फीली ठंड से बचाने वाली कपड़े और कुछ अन्य उपकरण भारत को मदद के तौर पर दिये थे। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के एक शीर्ष कमांडर ने अमेरिकी सांसदों को ये जानकारी साझा की।
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अमेरिका (America) के हिंद-प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल फिलिप्स डेविडसन ने अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट की शक्तिशाली शस्त्र सेवाएं समिति से ये भी कहा कि एलएसी पर चीन की हालिया गतिविधियों ने भारत को ये सोचने के लिए मजबूर कर दिया था कि उसकी अपनी रक्षात्मक जरूरतों के लिए अन्य देशों के साथ क्या सहयोगी कोशिशें की जा सकती हैं। उनका मानना है कि भारत इस मामले में ‘क्वाड’ में अपनी भूमिका मजबूत करेगा।
एडमिरल डेविडसन ने संसदीय सुनवाई के दौरान अमेरिकी सांसदों को बताया कि भारत की नीति लंबे समय से रणनीतिक स्वायत्ता की रही है और जैसा कि आप जानते हैं कि वह गुटनिरपेक्षता की नीति का पक्षधर रहा है, लेकिन हमें लगता है कि एलएसी (LaC) पर हुई गतिविधियों ने निश्चित तौर पर भारत को इस मुद्दे पर विचार करने के लिए मजबूर किया कि उसकी अपनी रक्षात्मक जरूरतों के लिए दूसरे माध्यम से क्या सहयोगी कोशिश की जा सकती है।
एडमिरल डेविडसन के मुताबिक, अमेरिका (America) ने एलएसी (LaC) के हालिया विवाद के दौरान भारत को कुछ सूचना, बर्फीले मौसम से बचाने वाले कपड़े, कुछ उपयोगी उपकरण और इसी तरह की कई दूसरी वस्तुयें भी मुहैया कराई थी। साथ ही, पिछले कई सालों से हम भारत के साथ अपने समुद्री सहयोग को मजबूत कर रहे हैं।
गौरतलब है कि चीन ने पिछले साल मई में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील जैसे विवादित इलाकों में 60,000 से अधिक सैनिक तैनात कर दिये थे। इस पर, भारत ने भी अपनी सेनाओं की तैनाती कर दी थी। इसी कारण एलएसी (LaC) पर दोनों देशों के बीच करीब 8 महीने तक गतिरोध बना रहा। हालांकि कई दौर की लंबी बातचीत के बाद दोनों देशों ने पिछले महीने पैंगोंग झील इलाके से अपनी सेनाओं को पीछे हटाया। लेकिन पूर्वी लद्दाख के कुछ हिस्सों में अभी भी सेनाओं के हटाने के मुद्दे पर चर्चा जारी है।
डेविडसन ने बताया कि भारत गुटनिरपेक्षता के अपने रुख के प्रति प्रतिबद्ध बना रहेगा, लेकिन हमें ये भी उम्मीद कि भारत क्वाड के साथ अपने संबंध को और प्रगाढ़ करेगा। हमें लगता है कि यह हमारे लिए (America), आस्ट्रेलिया और जापान के लिए एक अहम रणनीतिक मौका है।