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Pulwama Attack: गर्भवती पत्नी और दिव्यांग बहन को बेसहारा छोड़ गए सिवाचंद्रन

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले (Pulwama Attack) में शहीद हुए 40 सीआरपीएफ जवानों में से दो तमिलनाडु के हैं। इनमें से एक हैं तमिलनाडु के सी सिवाचंद्रन। वे तमिलनाडु में अरियालुर जिले के करकुडी गांव के रहने वाले थे। वह पिछले महीने पोंगल की छुट्टी पर घर गए हुए थे। लगभग एक महीने की छुट्टी के बाद पांच दिन पहले ही ड्यूटी पर वापस लौटे थे।

पुलवामा शहीद।

Pulwama Attack: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले (Pulwama Attack) में शहीद हुए 40 सीआरपीएफ जवानों में से दो तमिलनाडु के हैं। इनमें से एक हैं तमिलनाडु के सी सिवाचंद्रन। वे तमिलनाडु में अरियालुर जिले के करकुडी गांव के रहने वाले थे। वह पिछले महीने पोंगल की छुट्टी पर घर गए हुए थे। लगभग एक महीने की छुट्टी के बाद पांच दिन पहले ही ड्यूटी पर वापस लौटे थे।

गर्भवती पत्नी और दिव्यांग बहन को छोड़ गए बेसहारा 

सी सिवाचंद्रन ने हमले से कुछ देर पहले ही आखिरी बार पत्नी से फोन पर बात की थी। छुट्टी बिताकर वे नौ फरवरी को घर से ड्यूटी के लिए निकले थे। उनका दो साल का एक बेटा है। उनकी पत्नी कांतिमति चार माह की गर्भवती हैं। इनके घर में अब कमाने वाला कोई नहीं है। सिवाचंद्रन के छोटे भाई की पिछले साल करंट लगने से मौत हो गई थी। उनकी बहन बोल नहीं सकतीं। वह अभी अविवाहित हैं। पूरे परिवार की जिम्मेदारी सिवाचंद्रन के कंधों पर ही थी।

2010 में ज्वॉइन किया था CRPF

सिवाचंद्रन ने इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन किया था। उन्होंने 2010 में सीआरपीएफ जॉइन की थी। वह एक बहादुर और खुशमिजाज इंसान थे। सिनाचंद्रन के पिता चिन्नयन से उनके बुढ़ापे का सहारा छिन गया। उनका बेटा देश को बचाने गया था, पर खुद शहीद हो गया।

आखिरी वक्त में भी पिता की चिंता थी जी सुब्रमण्यम को

पुलवामा हमले (Pulwama Attack) में तमिलनाडु के दूसरे शहीद तूतीकोरिन जिले के सबलापेरी गांव के 28 साल के जी सुब्रमण्यम हैं। उनके शहादत की सूचना घर पहुंचने के बाद से परिवार समेत पूरे इलाके में मताम पसरा हुआ है। जी सुब्रमण्यम के पिता वी गणपति बेटे की फोन पर अंतिम बार बहू से हुई बातचीत को याद कर-कर के रो रहे हैं। जी सुब्रमण्यम ने हमले से पहले  फोन पर अपनी पत्नी कृष्णावेणी से बातचीत की थी। उन्होंने परिवार का हालचाल पूछा था और पत्नी को याद दिलाया था कि वह पिता जी की आंखों में नियमित दवाई डालती रहें।

कुछ दिनों पहले ही हुआ था पिता की आंखों का ऑपरेशन

दरअसल, उनके पिता वी गणपति की आंखों का कुछ दिनों पहले ही ऑपरेशन हुआ है। इसके बाद डॉक्टर ने उनकी आंखों में नियमित दवा डालने को कहा है। बेटे ने इलाज करा आंखें तो ठीक करा दीं, लेकिन अब वह अपने बेटे को कभी नहीं देख सकेंगे। अंतिम बार पत्नी से हुई बातचीत में उन्होंने बताया था कि वह अपनी बटालियन के साथ श्रीनगर जा रहे हैं। पर किसी को अंदाजा भी नहीं था कि श्रीनगर का उसका ये सफर अंतिम यात्रा में बदल जाएगा।

कुछ घंटों बाद ही आ गई शहादत की खबर

पत्नी से बात होने के थोड़ी देर बाद पिता ने उनके मोबाइल पर फोन किया। कई बार प्रयास के बाद भी बेटे से बात नहीं हो सकी। कुछ देर बाद मीडिया से सीआरपीएफ काफिले पर हमले की सूचना मिली। उनका दिल दहल गया। फिर भी उम्मीद थी कि उनके बुढ़ापे का सहारा उन्हें इस तरह से छोड़कर नहीं जा सकता। कुछ घंटों बाद वही हुआ, जिसका डर था। बेटे के शहीद होने की सूचना घर पहुंच गई।

पिता चाहते थे बेटा तमिलनाडु पुलिस में हो भर्ती

वी गणपति हमेशा चाहते थे कि बेटा तमिलनाडु पुलिस में भर्ती हो, ताकि वह राज्य में ही रहे। वहीं उनका बेटा हमेशा से सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता था। सेना में तो नहीं, लेकिन सीआरपीएफ में वर्ष 2014 में उनका चयन हो गया। सीआरपीएफ में चयन के बाद सुब्रमण्यम बहुत खुश हुए थे। वह पांच साल से सीआरपीएफ में थे। दो साल से वे श्रीनगर में ही तैनात थे। इससे पहले दो वर्ष वह उत्तर प्रदेश में और प्रशिक्षण के दौरान एक वर्ष तमिलनाडु में तैनात रहे।

श्रीनगर में पत्थरबाजी में हो गए थे घायल

सुब्रमण्यम श्रीनगर में पत्थरबाजों का शिकार हो गए थे। पत्थरबाजी में वह घायल हो गए थे। उन्हें कई टांके लगे थे, लेकिन उन्होंने घरवालों को ये बात नहीं बताई थी। उनके छुट्टी पर घर आने के बाद उनकी चोट के बारे में परिवार को पता चला था। सुब्रमण्यम फुटबॉल, क्रिकेट और कबड्डी जैसे खेलों में काफी रुचि लेते थे। अभी वह एक महीने की छुट्टी पर घर आए थे तो उन्होंने कबड्डी टूर्नामेंट खेला और साइकलिंग प्रतियोगिता में ईनाम भी जीता था।

डेढ़ साल पहले ही हुई थी शादी

उनकी शादी कृष्णावेणी से करीब डेढ़ साल पहले 2017 में हुई थी। सुब्रमण्यम पोंगल के मौके पर एक महीने की छुट्टी लेकर घर आए थे। पांच दिन पहले ही वह नौकरी पर वापस लौटे थे। 10 फरवरी को घर से जाते वक्त उन्होंने वादा किया था कि वह जल्दी फिर घर वापस आएंगे। किसी को पता नहीं था कि वह अब कभी नहीं लौटेंगे।

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