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युद्ध से पहले होती है कई दौर की बातचीत, सहमति नहीं बनने पर होता है टकराव

फाइल फोटो

Military Talks: दो देशों के बीच कई दिनों तक युद्ध चलता है। इस दौरान कई सैनिक शहीद होते हैं और कई घायल। हालांकि, युद्ध के दौरान भी बातचीत का दौर जारी रहता है।

भारतीय सेना बेहद ही शक्तिशाली है। हमारी सेना से जो भी टकराता है वह चूर-चूर हो जाता है। इस बात को हमारे जवानों ने कई मौकों पर साबित भी किया है। दो देश युद्ध में खुद को झोंकने से पहले कई दौर की बातचीत करते हैं। सैन्य भाषा में इस मिलिट्री टॉक (Military Talks) यानी सैन्य बातचीत कहते हैं।

इसमें दोनों देशों के टॉप सैन्य अधिकारी मौजूद होते हैं। एक टेबल पर दोनों देश समस्याओं और समाधान पर बातचीत (Military Talks) करते हैं। अगर ये बातचीत विफल होती है तो ही टकराव होता है। हालांकि, सैन्य स्तर पर ही नहीं बल्कि डिप्लोमेटिक तरीके से भी युद्ध को टालने के लिए बातचीत होती है। इसमें दोनों देशों के रक्षा मंत्री या फिर रक्षा सचिव, राजनायिकों के बीच बातचीत होती है।

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दोनों देशों के बीच कई दिनों तक युद्ध चलता है। इस दौरान कई सैनिक शहीद होते हैं और कई घायल। हालांकि, युद्ध के दौरान भी बातचीत का दौर जारी रहता है। कोई भी देश नहीं चाहता कि उसका नुकसान हो। इस दौरान अन्य देश द्वारा भी युद्ध खत्म करने की अपील की जाती है। वैसे, युद्ध को अंजाम तक पहुंचाने के बाद ही दम लिया जाता है।

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दरअसल, कोई भी देश यह नहीं चाहता कि युद्ध से पहले पीछे हटकर विश्व के सामने खुद को कमजोर साबित किया जाए। ऐसे में पूरे दम खम के साथ दोनों देशों के सेनाएं लड़ती हैं। जिस देश को पहले आभास हो जाता है कि हार स्वीकार न करने पर और भारी नुकसान हो सकता है वह हार स्वीकार कर लेता है।