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करगिल विजय दिवस: वो जंग जो हमारे रणबांकुरों के अदम्य साहस और वीरता का गवाह बना

हमारी वायुसेना और नौसेना ने भी कारगिल युद्ध में अपने शौर्य का जबरदस्त परिचय दिया था।

1999 में पड़ोसी देश पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को घुसपैठ कराकर भारत की सीमा के अंदर भेज दिया था। तब के पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ ने भारत भूमि पर कब्जा करने का प्लान तैयार किया था। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी दुश्मनों की गोली का जवाब गोलों से देने का आदेश तीनों सेनाओं को सुना दिया। तत्कालीन चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ जनरल वीपी मलिक के नेतृत्व में कारगिल की लड़ाई लड़ी गई। कारगिल जंग इतिहास में अदम्य साहस का उदाहरण है।

हमारी थल सेना दुश्मनों के सामने ढाल बनकर खड़ी थी। भारत भूमि में जो दुश्मन अपने नापाक इरादों के साथ घुस आए थे, उन्हें हमारे वीर सिपाही खदेड़ रहे थे। इस ऑपरेशन का नाम दिया गया था ‘ऑपरेशन विजय’। कारगिल युद्ध में थल-सेना का योगदान अतुलनीय है। लेकिन हमारी वायुसेना और नौसेना ने भी कारगिल युद्ध में अपने शौर्य का जबरदस्त परिचय दिया था। इन दोनों सेनाओं ने थल-सेना को पूरी मदद की थी इस युद्ध को जीतने के लिए। वायुसेना और नौसेना ने भी दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिए। कारगिल युद्ध में वायुसेना ने अपने ऑपरेशन का नाम रखा था ‘सफेद’। इस ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए हमारे वायु दूतों ने आसमान से गोले बरसाने शुरू किए।

वहीं, नौसेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को मजा चखाने के लिए ऑपरेशन ‘तलवार’ लॉन्च किया था। इसमें नौसेना ने अपने पूर्वी और पश्चिमी बेड़ों को एकत्र कर अपनी उत्तरी ओर अरब सागर से कराची बंदरगाह की घेराबंदी कर दी। जिससे दुश्मन चारों तरफ से घिरता चला गया। दुश्मन के मंसूबों को नेस्तनाबूत करने के लिए तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने कुशल रणनीति बनाई थी। एक साथ मिलकर हमारी तीनों सेनाओं के पराक्रमी वीरों ने कारगिल की चोटियों पर अपनी विजय पताका लहरा दिया।

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