भारत-चीन सैनिकों के बीच गलवान घाटी में करीब दो महीने पहले हुई खूनी झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत में 1 शहीद का नाम और जुड़ गया है। गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में घायल वीर जवान बिशन सिंह शहीद हो गए हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की गैर मौजूदगी में रानीबाग चित्रशिला घाट में शहीद (Martyr Bishan Singh) का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया।
जम्मू-कश्मीर में हिमस्खलन का शिकार हुआ था जवान, 220 दिन बाद बरामद हुआ पार्थिव शरीर
जवान बिशन सिंह मूल रूप से मुनस्यारी का रहने वाला था। कुछ सालों से शहीद का परिवार कमलुवागांजा (हल्द्वानी) में रह रहा है। अंतिम संस्कार में कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचा। सिटी मजिस्ट्रेट और एसडीएम ने शहीद के अंतिम संस्कार की सूचना होने से इनकार किया है। इसके साथ ही गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों की संख्या में एक और बढ़ गई है।
बिशन सिंह (Martyr Bishan Singh) 31 अगस्त को होने वाले थे रिटायर
गौरतलब है कि भारतीय सेना में हवलदार के पद पर तैनात बिशन सिंह (Martyr Bishan Singh) आगामी 31 अगस्त को सेवानिवृत होने वाले थे, लेकिन रिटायरमेंट से ठीक पहले 15 जून की रात गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर घात लगाकर हमला किया। जिसमें 20 भारतीय जवानों मौके पर ही शहीद हो गये जबकि 76 जवान घायल हो गए थे। इसमें से 56 जवानों को मामूली चोटें आई थी।
सूत्रों के अनुसार 20 जवानों को चंड़ीगढ़ पीजीआई समेत अन्य अस्पतालों में भर्ती किया गया था। पीजीआई चंड़ीगढ़ में 60 दिन मौत से जूझते हुए मुनस्यारी का लाल बिशन सिंह शहीद हो गया है। बिशन सिंह (Martyr Bishan Singh) ने शुक्रवार को अंतिम सांस ली।
सैन्य सूत्रों के अनुसार शहीद बिशन सिंह (Martyr Bishan Singh) 17 कुमाउं रेजीमेंट में हवलदार के पद पर तैनात थे। वो मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी के माणीधामी बंगापानी के रहने वाले थे। 43 वर्षीय बिशन सिंह ने शुक्रवार देर रात चंडीगढ़ में अंतिम सांस ली। शनिवार देर रात पार्थिव शरीर कमलुवागांजा में विशेष टाउनशिप कालोनी स्थित उनके घर लाया गया। तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन को शहीद के घर में लोगों की भीड़ जुटी रही। शहीद का पार्थिव शरीर देखते ही पत्नी सती देवी बेसुध हो गई। शहीद का 19 साल का बेटा मनोज और 16 साल की बेटी मनीषा ताबूत में बंद पिता के शव के पास घंटो रोते-बिलखते रहे। इस बीच शोकाकुल परिवारवालों को पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने किसी तरह से संभाला।
रविवार सुबह 9 बजकर 12 मिनट पर शहीद की अंतिम यात्रा चित्रशिला घाट के लिए निकली। कोरोना के भय को छोड़कर लोगों का हुजूम उमड़ आया। 10 बजे करीब तिकोनिया आर्मी कैंट और 17 कुमाउं के जवान पार्थिव शरीर लेकर चित्रशिला घाट पहुंचे। शहीद (Martyr Bishan Singh) के घर से घाट तक भारत माता की जय और जब तक सूरज चांद रहेगा बिशन तेरा नाम रहेगा जैसे नारे लगते रहे।