हस्तक्षेप एपिसोड नंबर 9:-
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejrwal) ने दिल्ली विधानसभा में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाकर तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए हैं। अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी को जिस अंदाज में हराकर जीत की जो अपनी हैट्रीक लगाई है वो काबिजे तारीफ है। पहले की तुलना में अरविंद केजरीवाल काफी मंझे हुए राजनेता की तरह चुनाव लड़ें जिससे कि उनके बयानों का किसी भी तरह से विरोधी दल को फायदा ना मिले। दिल्ली का जनादेश मोदी की सांप्रदायिक नीतियों के ख़िलाफ नहीं है। अरविंद केजरीवाल पहले नेता थे जिन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का समर्थन किया। अरविंद केजरीवाल ने सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ चल रहे विरोध-प्रदर्शनों से ख़ुद को दूर रखा। अरविंद ने शाहीन बाग़ को अपने चुनावी कैम्पेन से इतना दूर रखा कि मानो वो दिल्ली का इलाक़ा ही नहीं है। इनकी देशभक्ति और राष्ट्रवाद बीजेपी के नैरेटिव के अलग नहीं है। अरविंद केजरीवाल ने कभी नहीं कहा कि उमर अब्दुल्लाह और महबूबा मुफ़्ती को रिहा कर देना चाहिए और ना ही पूरे चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने एक बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे प्रहार किये। इन सभी सावधानियों ने अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की गद्दी का सिरमौर बनाया।