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देशद्रोही का सर्टिफिकेट देने वालों पर नकेल क्यों नहीं कसी जाती?

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इंडिया टीवी के कॉन्क्लेव (India TV Conclave) में बड़ी अच्छी बातें कहीं। कॉन्क्लेव का विषय था आतंकवाद का अंत कब होगा। इसमें जेटली ने कहा कि पुलवामा हमले (Pulwama Terror Attack) के बाद भारत की कार्रवाई को लेकर जिस तरह से सवाल उठाए गए वो कतई ठीक नहीं था। बात तो ठीक है। अगर किसी को इस कार्रवाई को लेकर कोई संदेह भी हो तो बुद्धिमत्ता इसी में है कि अपने संदेह अपने पास ही रखे जाएं क्योंकि सवाल उठा कर दरअसल आप पाकिस्तान को लाभ पहुंचाते हैं। हमारे सुरक्षाबलों के मनोबल को गिराने का काम करते हैं। इसे कतई ठीक नहीं माना जा सकता।

सुनिए संजीव श्रीवास्तव की टिप्पणीः

अरुण जेटली की तमाम बातों से सहमति के बावजूद सवाल ये है कि अगर किसी ने सवाल उठा ही दिया, तो उसे तुरंत देशद्रोही का दर्जा क्यों दे दिया जाता है। ऐसे में सरकार के बड़े ओहदेदारों की जिम्मेदारी है कि एंटी नेशनल (Anti National) करार देने वालों को हतोत्साहित करें, जो कि होता दिख नहीं रहा है। ऐसे में एक स्वस्थ परंपरा पनपने होने की बजाय गलत परिपाटी विकसित होने लगेगी।

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