जब भी नेहरू परिवार के बारे में आप इंटरनेट पर सर्च करेंगे तो सैकड़ों लेखों में इंदिरा के परदादा और मोतीलाल नेहरू (Motilal Nehru) के पिता का नाम गियासुद्दीन गाजी लिखा मिलेगा। सोशल मीडिया पर भी अक्सर इस तरह के मैसेज आप सभी को मिले होंगे। नेहरू परिवार के मुस्लिम धर्म से धर्मांतरण की कहानियां तमाम लोग कहते आए हैं, आखिर इसकी वजह क्या है? इसको जानने के लिए आपको नेहरू-इंदिरा परिवार की जड़ में जाना होगा।
ये अलग बात है कि नेहरू परिवार की जड़ों में जाने के लिए आपको पूरी तरह पं. नेहरू की बायोग्राफी पर ही निर्भर रहना पड़ेगा, क्योंकि बाकी सभी जितने भी इतिहासकारों या लेखकों ने उनके परिवार के बारे में लिखा है तो वे उनकी बायोग्राफी में से ही लिया है। उनकी बायोग्राफी के चैप्टर ‘Descent From Kashmir’ में उन्होंने अपने परिवार की जड़ों के बारे में लिखा है। सबसे पुराने सदस्य के बारे पं. नेहरू ने लिखा है, वो नाम है-राज कौल। जवाहर लाल नेहरू की किताबों में ही नहीं इंदिरा की बायोग्राफी में भी उन्हीं का नाम मिलता है। नेहरू के मुताबिक वो कश्मीरी पंडित थे, कश्मीर में ही रहते थे और वहां संस्कृत और फारसी के जाने माने विद्वान् थे। परिवार का दावा है कि जब मुगल बादशाह फर्रुखसियर कश्मीर दौरे पर आया तो वो राज कौल की प्रतिभा से काफी खुश हुआ, और उन्हें दिल्ली में रहने के लिए आमंत्रित किया। राज कौल को दिल्ली में किसी नहर के पास एक घर बादशाह की तरफ से रहने के लिए दिया गया, एक जागीर भी दी गई। नहर किनारे रहने की वजह से उन्हें नेहरू कहा जाने लगा, धीरे-धीरे कौल उन लोगों ने अपने नाम से हटा लिया और नेहरू नाम उनके परिवार का नाम हो गया।